आईबीसी के बेहतर कार्यान्वयन के लिए आईबीबीआई और सेबी ने किया समझौता
भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) ने दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के बेहतर कार्यान्वयन के लिए 19 मार्च, 2019 को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षरित किया। इस पर सेबी के कार्यकारी निदेशक आनंद बैवर और आईबीबीआई के कार्यकारी निदेशक रितेश कावडिया ने मुम्बई में हस्ताक्षर किए।
इसके तहत दोनों के मध्य संहिता के बेहतर कार्यान्वयन के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने पर सहमति बनी है। हालांकि, इस संबंध में लागू कानूनों द्वारा तय की गई सीमाओं को ध्यान में रखना होगा।
एमओयू से संबंधित मुख्य बिंदु:
- दोनों पक्षों के बीच सूचनाओं को साझा किया जा सकेगा। हालांकि, इस संबंध में लागू कानूनों द्वारा तय की गई सीमाओं को ध्यान में रखना होगा।
- संहिता के विभिन्न प्रावधानों, इत्यादि के तहत मुश्किलों से जूझ रहे विभिन्न प्रकार के क़र्ज़दारों के लिए त्वरित दिवाला समाधान प्रक्रिया की अहमियत एवं आवश्यकता के बारे में वित्तीय ऋणदाताओं के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करना।
- आपसी हितों वाले विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए समय-समय पर बैठकें की जाएंगी। एक-दूसरे की जवाबदेही पर असर डालने वाली नियामकीय आवश्यकताएं, प्रवर्तन से जुड़े मामले, अनुसंधान एवं डेटा विश्लेषण और सूचना प्रौद्योगिकी एवं डेटा को साझा करना इन विषयों में शामिल हैं।
- कोई भी ऐसा अन्य मुद्दा इनमें शामिल है जिनके बारे में संबंधित पक्षों को यह प्रतीत होता है कि उनकी संबंधित वैधानिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में वह एक-दूसरे के हित में होगा।
- एक-दूसरे के कर्मचारियों या स्टाफ को प्रशिक्षण देना, ताकि प्रत्येक पक्ष को सामूहिक संसाधनों के कारगर उपयोग के लिए दूसरे पक्ष के मिशन की बेहतर समझ हो सके।
- एक-दूसरे के साथ उपलब्ध संसाधनों को उस हद तक साझा किया जा सकेगा जिस सीमा तक यह व्यवहार्य और कानूनन उचित होगा।
- दिवाला से जुड़े प्रोफेशनलों और वित्तीय ऋणदाताओं का क्षमता निर्माण करना।
ध्यातव्य है कि आईबीबीआई और सेबी दरअसल दिवाला एवं दिवालियापन संझहिता, 2016 और इससे संबंधित नियम-कायदों पर कारगर ढंग से अमल किए जाने के पक्ष में हैं, जिन्हों6ने डेट एवं इक्विटी के आपसी मेल-जोल को नए सिरे से परिभाषित किया है और जिनका उद्देश्य उद्यमिता एवं डेट मार्केट को बढ़ावा देना है।
