कम से कम शब्दोँ मेँ अधिकाधिक अर्थ को प्रकट करना एक कला है जोकि एक अच्छी रचना के लिए आवश्यक है। ऐसे शब्दोँ के प्रयोग से वाक्य–रचना मेँ संक्षिप्तता, सुन्दरता व गंभीरता आती है।
- सबसे आगे रहने वाला— अग्रणी
- जो कभी बूढ़ा न हो— अजर
- जो कहा न जा सके— अकथनीय
- जो बीत गया हो— अतीत
- जो जीता न जा सके— अजेय
- जो दिखाई न दे— अदृश्य
- जो सहनशील न हो— असहिष्णु
- जो पहले जन्मा हो— अग्रज
- जो बाद मेँ जन्मा हो— अनुज
- जो सदा से चला आ रहा हो— सनातन
- जो इंद्रियोँ की पहुँच से बाहर हो— इन्द्रियातीत/अतीन्द्रिय
- जो बात हृदय मेँ अच्छी तरह बैठ गई हो— हृदयंगम
- जो पहले पढ़ा हुआ न हो— अपठित
- जो कम बोलता हो— अल्पभाषी/मितभाषी
- जो इंद्रियोँ द्वारा जाना न जा सके— अगोचर
- जो छूने योग्य न हो— अछूत
- जो छुआ न गया हो— अछूता
- जो विदेश मेँ रहता हो— अप्रवासी
- जो सामान्य नियम के विरुद्ध हो— अपवाद
- जो पहले कभी नहीँ हुआ हो — अभूतपूर्व
- जो धन को व्यर्थ खर्च करता हो— अपव्ययी
- जो साधा न जा सके— असाध्य
- जो कभी न मरे— अमर
- कभी नष्ट न होने वाला — अनश्वर
- जो बिना वेतन के कार्य करता हो— अवैतनिक
- जिसका दमन न किया जा सके— अदम्य
- जिसका मन कहीँ अन्यत्र लगा हो— अन्यमनस्क
- जिसे किसी बात का पता न हो— अनभिज्ञ
- जिसका पता न हो— अज्ञात
- जिसका स्पर्श वर्जित हो— अस्पृश्य
- जिसका कोई घर न हो— अनिकेत
- जिसका कभी अन्त न हो— अनन्त
- जिसे जाना न जा सके— अज्ञेय
- जिसे करना ज़रूरी हो— अनिवार्य
- जिसे क्षमा न किया जा सके— अक्षम्य
- जिसे भेदा न जा सके— अभेद्य
- जिस पुस्तक मेँ आठ अध्याय होँ— अष्टाध्यायी
- जिस स्थान पर कोई न जा सके— अगम्य
- जिसका वर्णन न हो सके— अवर्णनीय
- जिसकी गिनती न हो सके— अगणनीय
- जिसकी कोई उपमा न हो— अनुपम
- जिसकी गहराई का पता न लग सके— अथाह
- जिस पर किसी ने अधिकार कर लिया हो— अधिकृत
- जिसे लाँघा न जा सके— अलंघनीय
- जिसके आने की तिथि निश्चित न हो— अतिथि
- जिसका खंडन न किया जा सके— अखंडनीय
- जिसका कोई शत्रु न हो— अजातशत्रु
- जिसके समान कोई न हो— अद्वितीय
- जिसकी कोई तुलना न हो— अतुलनीय
- जिसके आदि (प्रारम्भ) का पता न हो— अनादि
- किसी सम्प्रदाय का समर्थन करने वाला— अनुयायी
- किसी प्रस्ताव का समर्थन करना — अनुमोदन
- हृदय की बातेँ जानने वाला— अन्तर्यामी
- परम्परा से चली आ रही कथा— अनुश्रुति
- सरकार की ओर से जारी सूचना — अधिसूचना
- फेँक कर चलाया जाने वाला हथियार— अस्त्र
- अपनी बात से न टलने वाला — अटल
- अत्यधिक बढ़ा–चढ़ा कर कही गई बात— अतिशयोक्ति
- किसी संस्था या व्यक्ति के साठ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मेँ होने वाला उत्सव— हीरक जयंती
- किसी संस्था या व्यक्ति के पचास वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य मेँ होने वाला उत्सव— स्वर्ण जयंती
- आगे आने वाला— आगामी
- अण्डे से जन्म लेने वाला— अण्डज
- पीछे–पीछे चलने वाला/अनुसरण करने वाला— अनुगामी
- पहाड़ के ऊपर की समतल जमीन— अधित्यका
- आवश्यकता से अधिक बारिश— अतिवृष्टि
- बिल्कुल बारिश न होना— अनावृष्टि
- बहुत कम बारिश होना— अल्पवृष्टि
- सीमा का अनुचित उल्लंघन— अतिक्रमण
- आदेश की अवहेलना— अवज्ञा
- वह स्त्री जिसका पति जीवित हो— सधवा
- जिस पर आक्रमण न किया गया हो— अनाक्रांत
- जिसका उत्तर न दिया गया हो— अनुत्तरित
- अनुकरण करने योग्य— अनुकरणीय
- जिसकी अपेक्षा की जाए— अपेक्षित
- जो सामने न हो— अप्रत्यक्ष/परोक्ष
- जिसकी आशा न की गई हो— अप्रत्याशित
- किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा— अभीप्सा
- जो कम जानता हो— अल्पज्ञ
- जो विधि या कानून के विरुद्ध हो— अवैध
- जिसका विभाजन न किया जा सके— अविभाज्य/अभाज्य
- जिसका विभाजन न किया गया हो— अविभक्त
- जिसको व्यवहार मेँ न लाया गया हो— अव्यवहृत
- जिसका कोई मूल्य न हो— अमूल्य
- किसी बात पर बार–बार जोर देना— आग्रह
- जिसकी भुजाएँ घुटनोँ तक लम्बी होँ— आजानुबाहु
- जिसकी गर्दन सुंदर हो— सुग्रीव
- व्यर्थ का प्रदर्शन— आडम्बर
- अपनी प्रशंसा स्वयं करने वाला— आत्मश्लाघी
- ईश्वर मेँ विश्वास रखने वाला— आस्तिक
- विदेश से देश मेँ माल मँगाना— आयात
- प्रारम्भ से लेकर अंत तक— आद्योपान्त
- जो बहुत क्रूर व्यवहार करता हो— आततायी
- जिस पर हमला किया गया हो— आक्रांत
- जिसने हमला किया हो— आक्रांता
- जिसकी कोई आशा न की गई हो— आशातीत
- किसी नई वस्तु की खोज करने वाला— आविष्कारक
- लेखक द्वारा स्वयं की लिखी गई जीवनी— आत्मकथा
- जो इन्द्र पर विजय प्राप्त कर चुका हो— इंद्रजीत
- जो इन्द्रियोँ से परे हो/जो इन्द्रियोँ के द्वारा ज्ञात न हो— इन्द्रियातीत
- दो पर्वतों के बीच की भूमि— उपत्यका
- नदी के निकलने का स्थान— उद्गम
- जो उपासना के योग्य हो— उपास्य
- जिसका ऊपर वर्णन किया गया हो— उपर्युक्त
- जिस भूमि मेँ कुछ भी पैदा न होता हो— ऊसर
- सूर्यास्त के समय दिखने वाली लालिमा— ऊषा
- सांसारिक वस्तुओँ को प्राप्त करने की इच्छा— एषणा
- जो मात्र शिष्टाचार, व्यावहारिकता के लिए हो— औपचारिक
- जिसकी कल्पना न की जा सके— कल्पनातीत
- जो दुःख या भय से पीड़ित हो— कातर
- बाल्यावस्था और युवावस्था के बीच की अवस्था— किशोरावस्था
- बुरे मार्ग पर चलने वाला— कुमार्गी
- जिसकी बुद्धि बहुत तेज हो— कुशाग्रबुद्धि
- जो अच्छे कुल मेँ उत्पन्न हुआ हो— कुलीन
- वह व्यक्ति जिसका ज्ञान अपने ही स्थान तक सीमित हो— कूपमंडूक
- किए गए उपकार को मानने वाला— कृतज्ञ
- किए गए उपकार को न मानने वाला— कृतघ्न
- जिसने संकल्प कर रखा है— कृतसंकल्प
- जो क्षमा किया जा सके— क्षम्य
- जिसका कुछ ही समय मेँ नाश हो जाए— क्षणभंगुर
- जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैँ— क्षितिज
- नायक का प्रतिद्वन्द्वी— खलनायक
- गीत रचने वाला— गीतकार
- गायोँ के रहने का स्थान— गौशाला
- जिसके सिर पर चंद्रकला हो (शिव)— चंद्रचूड़/चंद्रशेखर
- वह कृति जिसमेँ गद्य और पद्य दोनोँ होँ— चंपू
- जिसके हाथ मेँ चक्र हो— चक्रपाणि
- चार भुजाओँ वाला— चतुर्भुज
- लंबे समय तक जीने वाला— चिरंजीवी
- जो चिरकाल से चला आया है— चिरंतन
- जो बहुत समय तक ठहर सके— चिरस्थायी
- दूसरोँ के केवल दोषोँ को खोजने वाला— छिद्रान्वेषी
- एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलने वाला— जंगम
- पेट की अग्नि— जठराग्नि
- जल मेँ रहने वाला जीव— जलचर
- जानने की इच्छा रखने वाला— जिज्ञासु
- इन्द्रियोँ को वश मेँ करने वाला— जितेन्द्रिय
- जहाँ सिक्कोँ की ढलाई होती है— टकसाल
- जो किसी भी गुट मेँ न हो— तटस्थ/निर्गुट
- जो किसी कार्य या चिन्तन मेँ डूबा हो— तल्लीन
- ऋषियोँ के तप करने की भूमि— तपोभूमि
- जिसमेँ बाण रखे जाते हैँ— तरकश/तूणीर
- किसी को पद छोड़ने के लिए लिखा गया पत्र— त्यागपत्र
- भूत, वर्तमान और भविष्य को जानने/देखने वाला— त्रिकालज्ञ/त्रिकालदर्शी
- वह स्थान जो दोनोँ भृकुटिओँ के बीच होता है— त्रिकुटी
- तीन महीने मेँ एक बार— त्रैमासिक
- पति और पत्नी का जोड़ा— दंपती
- दस वर्षोँ की समयावधि— दशक
- गोद लिया हुआ पुत्र— दत्तक
- जंगल मेँ फैलने वाली आग— दावानल
- दो बार जन्म लेने वाला (ब्राह्मण, पक्षी, दाँत)— द्विज
- बुरे भाव से की गई संधि— दुरभिसंधि
- वह कार्य जिसको करना कठिन हो— दुष्कर
- जो शीघ्रता से चलता हो— द्रुतगामी
- जिसे कठिनता से साधा/सिद्ध किया जा सके— दुस्साध्य
- जो कठिनाई से समझ मेँ आता है— दुर्बोध
- जिसका दमन करना कठिन हो— दुर्दमनीय
- आगे की बात सोचने वाला व्यक्ति— दूरदर्शी
- देह से सम्बन्धित— दैहिक
- प्रतिदिन होने वाला— दैनिक
- धन की इच्छा रखने वाला— धनेच्छु
- अपने स्थान पर अटल रहने वाला— ध्रुव
- जिसका जन्म अभी–अभी हुआ हो— नवजात
- जिसका उदय हाल ही मेँ हुआ है— नवोदित
- जो आकाश मेँ विचरण करता है— नभचर
- ईश्वर मेँ विश्वास न रखने वाला— नास्तिक
- जो नष्ट होने वाला हो— नाशवान/नश्वर
- नरक के योग्य— नारकीय
- किसी से भी न डरने वाला— निडर/निर्भीक
- जो कपट से रहित है— निष्कपट
- जो पढ़ना–लिखना न जानता हो— निरक्षर
- जिसका कोई अर्थ न हो— निरर्थक
- रात मेँ विचरण करने वाला— निशाचर
- जिसका आकार न हो— निराकार
- केवल शाक, फल एवं फूल खाने वाला या जो मांस न खाता हो— निरामिष
- जिसमेँ कोई अड़चन न हो— निष्कंटक
- जिसका अपना कोई शुल्क न हो— निःशुल्क
- जिसके संतान न हो— निःसंतान
- जिसकी किसी से उपमा/तुलना न दी जा सके— निरुपम
- जो लज्जा से रहित हो— निर्लज्ज
- रंगमंच पर पर्दे के पीछे का स्थान— नेपथ्य
- आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत करने वाला— नैष्ठिक
- जो नीति के अनुकूल हो— नैतिक
- अपनी गलती के लिए किया हुआ दुःख— पश्चाताप
- अपने मार्ग से च्युत/भटका हुआ— पथभ्रष्ट
- अपने पद से हटाया हुआ— पदच्युत
- परपुरुष से प्रेम करने वाली स्त्री— परकीया
- पति द्वारा छोड़ दी गई पत्नी— परित्यका
- दूसरे पर उपकार करने वाला— परोपकारी/परमार्थी
- प्रशंसा करने योग्य— प्रशंसनीय
- वह आकृति जो किसी शीशे, जल आदि मेँ दिखाई दे— प्रतिबिम्ब
- हास्य रस से परिपूर्ण नाटिका— प्रहसन
- हाथ से लिखी गई पुस्तक— पाण्डुलिपि
- किसी परिश्रम के बदले मिलने वाली राशि— पारिश्रमिक
- जिसका स्वभाव पशुओँ के समान हो— पाशविक
- जो परलोक से संबंधित हो— पारलौकिक
- मार्ग मेँ खाने के लिए भोजन— पाथेय
- पीने की इच्छा रखने वाला— पिपासु
- बार–बार कही गई बात— पुनरुक्ति
- पिता एवं प्रपिताओँ से संबंधित— पैतृक
- फल की इच्छा रखने वाला— फलेच्छु
- जो अनेक रूप धारण करता हो— बहुरूपिया
- जिस स्त्री के कोई संतान नहीँ हुई हो— बाँझ
- जो पहले था या हुआ— भूतपूर्व
- भूगोल से संबंधित— भौगोलिक
- फूलोँ का रस— मकरंद
- दोपहर का समय— मध्याह्न
- किसी मत का अनुसरण करने वाला— मतानुयायी
- जहाँ केवल रेत ही रेत हो— मरुस्थल
- माँस आदि खाने वाला— माँसाहारी
- माह मेँ होने वाला— मासिक
- माता की हत्या करने वाला— मातृहंता
- कम खाने वाला— मिताहारी
- कम खर्च करने वाला— मितव्ययी
- जो असत्य बोलता हो— मिथ्यावादी
- जिस स्त्री की आँखेँ मछली के समान होँ— मीनाक्षी
- शुभ कार्य हेतु निकाला गया समय— मुहूर्त
- मरने की इच्छा— मुमूर्षा
- मोक्ष की इच्छा रखने वाला— मुमुक्षु
- जिसने मृत्यु को जीत लिया हो— मृत्युंजय
- रंगमंच का परदा— यवनिका
- जिसे देखकर रोँगटे खड़े होँ जाएँ— लोमहर्षक
- वंश परम्परा के अनुसार— वंशानुगत
- जिसके हाथ मेँ वज्र हो— वज्रपाणि
- जिसका वर्णन न किया जा सके— वर्णनातीत
- अधिक बोलने वाला— वाचाल
- सन्तान के प्रति प्रेम— वात्सल्य
- जिसका वाणी पर पूर्ण अधिकार हो— वाचस्पति
- जिसमेँ विष मिला हुआ हो— विषाक्त
- जिस विषय मेँ निश्चित मत न हो— विवादास्पद
- जिसकी पत्नी मर चुकी हो— विधुर
- स्त्री जिसका पति मर गया हो— विधवा
- सौतेली माँ— विमाता
- वह स्त्री जो पढ़ी–लिखी व ज्ञानी हो— विदुषी
- किसी विषय का विशेष ज्ञान रखने वाला— विशेषज्ञ
- विनाश करने वाला— विध्वंसक
- सौ वर्षोँ का समूह— शताब्दी
- जो शरण मेँ आ गया हो— शरणागत
- हाथ मेँ पकड़कर चलाया जाने वाला हथियार जैसे तलवार— शस्त्र
- सौ वस्तुओँ का संग्रह— शतक
- जिसके स्मरण मात्र से ही शत्रु का नाश हो/शत्रु का नाश करने वाला— शत्रुघ्न
- जिसका कोई आदि हो ना अंत— शाश्वत
- जिस शब्द के दो अर्थ होँ— शिलष्ट
- जिसके छह कोण होँ— षट्कोण
- जिसके छह पद होँ— षट्पद
- उसी समय मेँ होने/रहने वाला— समकालीन
- छूत या संसर्ग से फैलने वाला रोग— संक्रामक
- जो एक ही जाति के होँ— सजातीय
- रथ हाँकने वाला— सारथि
- सप्ताह मेँ एक बार होने वाला— साप्ताहिक
- सभी लोगोँ के लिए— सार्वजनिक
- जो सब जगह विद्यमान हो— सर्वव्यापी
- गतिहीन रहने वाला— स्थावर
- दूसरे के काम मेँ दखल देना— हस्तक्षेप
- जो दुःख हृदय को चीर डाले— हृदय विदारक
- जीतने, दमन करने की इच्छा— जिगीषा
- किसी को जीत लेने का इच्छुक — जिगीषु
- हृदय से संबंधित— हार्दिक
- जिस पर हँसी आती हो/जो हँसी का पात्र हो— हास्यास्पद
- दूसरोँ का हित चाहने वाला— हितैषी
- किसी वस्तु को प्राप्त करने की तीव्र इच्छा— अभीप्सा
- सांसारिक वस्तुओँ को प्राप्त करने की इच्छा— एषणा
- कार्य करने की इच्छा— चिकीर्षा
- जानने की इच्छा— जिज्ञासा
- खाने की इच्छा— बुभुक्षा
- खाने का इच्छुक— बुभुक्षु
- जीवित रहने की इच्छा— जिजीविषा
- ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा— ज्ञानपिपासा
- तैर कर पार जाने की इच्छा— तितीर्षा
- धन की इच्छा रखने वाला— धनेच्छु
- पीने की इच्छा रखने वाला— पिपासु
- फल की इच्छा रखने वाला— फलेच्छु
- जो अत्यधिक भूखा हो— बुभुक्षित
- युद्ध की इच्छा रखने वाला— युयुत्सु
- युद्ध करने की इच्छा— युयुत्सा
- शुभ चाहने वाला— शुभेच्छु
- हित चाहने वाला— हितैषी
- मरणासन्न अवस्था वाला/मरने की इच्छा करने वाला— मुमूर्षू