skip to Main Content

अमेरिका ने जारी की अपनी वार्षिक “स्पेशल 301 रिपोर्ट”

अमेरिका ने हाल ही में देश में रचनात्मक कृतियों के बढ़ते बाज़ार के समक्ष उपस्थित मुख्य चुनौतियों को चिन्हित करते हुए अपनी वार्षिक स्पेशल 301 रिपोर्ट जारी की। स्पेशल 301 रिपोर्ट के इस संस्करण में कुल 36 देशों को निगरानी सूची में डाला गया है।

‘प्राथमिकता निगरानी सूची’:
यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेज़ेंटेटिव (यूएसटीआर) के अनुसार, भारत को बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के कथित उल्लंघनों के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका की ‘प्राथमिकता निगरानी सूची’ (प्रायोरिटी वॉच लिस्ट) में बरकरार रखा गया है। इसके अलावा इस लिस्ट में भारत के साथ ही चीन, इंडोनेशिया, रूस, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला जैसे कुल 11 देशों को रखा गया है। इस सूची में उन देशों को रखा जाता है जिनके बौद्धिक संपदा अधिकार यानी आइपीआर ढांचे में कमजोर कानून और उनके लचर क्रियान्वयन एवं प्रवर्तन के चलते बौद्धिक संपदा अधिकारों का लगातार उल्लंघन होता है।

उद्देश्य:
स्पेशल 301 समीक्षा प्रक्रिया का प्रमुख लक्ष्य अमेरिकी सरकार की उन देशों की पहचान करने में मदद करना है जो न तो बौद्धिक संपदा अधिकारों को प्रभावी और पर्याप्त सुरक्षा देते हैं, अपितु बौद्धिक संपदा सुरक्षा चाहने वाले अमेरिकी व्यक्तियों को विदेशी बाजार की निष्पक्ष व न्यायसंगत पहुच बनाने से भी रोकते हैं।

इस रिपोर्ट के अंतर्गत, अमेरिका अपने व्यापारिक भागीदारों का बौद्धिक संपदा की रक्षा और प्रवर्तन संबंधी ट्रैक रिकॉर्ड पर आकलन करता है।

मुख्य बिंदु:

  • स्पेशल 301 रिपोर्ट के इस संस्करण में कुल 36 देशों को निगरानी सूची में डाला गया है।
  • तुर्की और पाकिस्तान जैसे कुल 25 देशों को अमेरिका की ‘वॉच लिस्ट’ में शामिल किया है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बौद्धिक संपदा की चुनौतियाँ लंबे समय से बरकरार है और भारत बौद्धिक संपदा के संरक्षण तथा उनके प्रवर्तन के संबंध में विश्व की सबसे चुनौतीपूर्ण प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
  • देश में अपने बाज़ारों में सख्त कॉपीराइट कानून और कुशल क्रियान्वयन तंत्र बनाए व उसके रचनात्मक उत्पादों की बाज़ार तक पहुंच बनाने में मौजूद रुकावटों को दूर करने के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए स्पेशल 301 अमेरिका की एक प्रमुख नीति है।

बौद्धिक संपदा अधिकार क्या हैं?
बौद्धिक संपदा अधिकार वे निजी अधिकार हैं जो किसी देश की सीमा के भीतर मान्य होते हैं। ये अधिकार किसी भी प्रकार या आकार की अर्थव्यवस्थाओं में रोज़गार, नवाचार, सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं तथा औद्योगिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक और कला के क्षेत्र से संबद्ध व्यक्तियों अथवा कानूनी कंपनियों को उनकी रचनात्मकता अथवा नवप्रयोग के संरक्षण के लिये प्रदान किये जाते हैं। रचनात्मकता व नवोन्मेष से उपजी बौद्धिक संपदा का आज किसी भी देश की प्रगति में विशेष महत्व है। रचनात्मक निर्माताओं और उनकी कृतियों को मिली कानूनी सुरक्षा प्रत्येक देश के विकास का एक प्रमुख मापदंड और सूचक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top