Election of Vice President: भारत का उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाता है..
Election of Vice President: भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होता है और विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है।

21 जुलाई, 2025 को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद रिक्त हो गया था जिससे यह चुनाव आवश्यक हो गया है। राष्ट्रपति को लिखे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने अपने फैसले के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होना था।
भारत के उपराष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 68(2) के प्रावधानों के अनुसार, उपराष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से उनके पद में हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, रिक्ति होने के पश्चात यथाशीघ्र आयोजित किया जाएगा और रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के प्रावधानों के अधीन रहते हुए, अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष की पूर्ण अवधि तक पद धारण करने का हकदार होगा।
राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 और राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 के साथ संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार, भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण भारत के चुनाव आयोग को सौंपा गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
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17वाँ उपराष्ट्रपति चुनाव
इस वर्ष यानी 2025 में 17 वाँ उपराष्ट्रपति चुनाव होगा। इस के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (वर्तमान में पाँच सीटें रिक्त हैं), राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य शामिल हैं, जहाँ वर्तमान में एक सीट रिक्त है।
निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य होते हैं, जिनमें से 782 सदस्य मतदान कर सकते हैं। चूँकि सभी निर्वाचक सांसद हैं, इसलिए प्रत्येक मत का मूल्य समान (एक) होगा।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और गुप्त मतदान
संविधान के अनुच्छेद 66(1) में प्रावधान है कि चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा कराया जाएगा और चुनाव मतदान गुप्त द्वारा होगा। इस प्रणाली में निर्वाचक को उम्मीदवारों के नामों के सामने अपनी प्राथमिकताएँ अंकित करनी होती हैं।
वरीयता भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप में, रोमन रूप में, या किसी भी मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा के रूप में अंकित की जा सकती है। वरीयता केवल अंकों में (figures only) अंकित की जानी चाहिए, शब्दों में नहीं (not be indicated in words) दर्शाई जानी चाहिए। मतदाता उतनी ही वरीयताएँ अंकित कर सकता है जितनी उम्मीदवारों की संख्या है। मतपत्र के वैध होने के लिए पहली पसंद अंकित करना अनिवार्य है, जबकि अन्य पसंद वैकल्पिक हैं।
किसी उम्मीदवार के नामांकन पत्र पर कम-से-कम 20 मतदाताओं द्वारा प्रस्तावक के रूप में (20 electors as proposers) और कम से कम 20 अन्य मतदाताओं द्वारा समर्थक (20 other electors as seconders) के रूप में हस्ताक्षर किए जाने आवश्यक हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान के संबंध में राजनीतिक दल अपने सांसदों को कोई व्हिप (whip) जारी नहीं कर सकते।
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उपराष्ट्रपति पद
भारत के उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि का होता है। लेकिन वह इस अवधि के समाप्त हो जाने पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण करने तक, पद पर बने रह सकते हैं।
राज्यसभा का पदेन सभापति
उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है और वह लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं करता है।
उपराष्ट्रपति का त्यागपत्र
उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद का त्याग भारत के राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र देकर किया जा सकता है। त्याग पत्र उस तारीख से प्रभावी हो जाता है जिससे उसे स्वीकार किया जाता है।
उपराष्ट्रपति का पद से निष्कासन
उपराष्ट्रपति को राज्य सभा के एक ऐसे संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत ने पारित किया हो और जिससे लोक सभा सहमत हो। इस प्रयोजनार्थ संकल्प को केवल तभी उपस्थित किया जा सकता है जबकि इस आशय की सूचना कम से कम 14 दिन पहले दी गई हो।
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