Vice President Election: आचार्य देवव्रत होंगे अगले उपराष्ट्रपति?
Vice President Election: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति की तलाश तेज हो गई है। अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव हेतु 9 सितंबर को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 8 अगस्त को शुरू हो गई, चुनाव आयोग ने एक अधिसूचना जारी की है।

Vice President Election: पूर्व उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ के अपने पद से इस्तीफे के बाद अब उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है। चुनाव आयोग ने गुरुवार (7 अगस्त, 2025) को उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice President Election) के लिए अधिसूचना जारी की, जिससे नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई। यह चुनाव 9 सितंबर को होंगे।
अधिसूचना में कहा गया है कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, दस्तावेजों की जाँच 22 अगस्त को की जाएगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त है। लोकसभा और राज्यसभा में NDA का संख्याबल अधिक है जिससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि जीत उसी के खाते में जाएगी। अब ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आख़िर भाजपा और उसके सहयोगी किस नाम पर सहमत होते हैं और NDA की ओर से किसे नया उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा इस पर कयास लगाए जा रहे हैं।
पीएम मोदी लगाएंगे नाम पर मुहर
National Democratic Alliance (NDA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा को चुनाव के लिए सत्तारूढ़ गुट का उम्मीदवार चुनने के लिए अधिकृत किया है मतलब वह जिस नेता पर मुहर लगाएंगे उसी पर उनकी सहमति होगी।
हालाँकि NDA द्वारा उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अभी तक किसी नाम की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन जल्द ही ऐसी घोषणा की जा सकती है। इस पद की दौड़ में कुछ ख़ास नाम सबसे आगे चल रहे हैं।
कौन-कौन से नाम इस रेस में शामिल?
इस रेस में बिहार चुनाव को देखते हुए राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश सिंह के नाम के भी कयास लगाए जा रहे हैं, क्योंकि शायद हरिवंश सिंह का बिहार कनेक्शन भाजपा और जदयू को इन चुनावों में फ़ायदा दिला दे। इनके अलावा, दिल्ली के के लेफ्टिनेंट गवर्नर वी. के. सक्सेना और जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा का नाम भी इस दौड़ में उभरकर सामने आ रहा है।
इन सबके अलावा, अब एक जाट नेता का नाम भी तेज़ी से उभरा है और इस दौड़ में शामिल माना जा रहा है। और यह नाम आचार्य देवव्रत का और जिन्हें सियासी चर्चाओं में सबसे आगे बताया जा रहा है। असल में आचार्य देवव्रत उसी जाट समाज से आते हैं जिससे जगदीप धनखड़ थे। तो ऐसे में राजनीतिक समीकरण अब और भी दिलचस्प हो जाते हैं क्योंकि जाट समाज को साधने के लिये देवव्रत को मौक़ा दिया जा सकता है।
हरिवंश सिंह ‘बिहार कनेक्शन’
इस पद के लिए जिन प्रमुख नामों पर चर्चा हो रही है, उनमें जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह भी शामिल हैं, जो 2020 से इस पद पर हैं।
हरिवंश सिंह रांची से प्रकाशित एक क्षेत्रीय समाचार पत्र प्रभात खबर के लंबे समय तक संपादक रहे और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के मीडिया सलाहकार भी रहे।
आचार्य देवव्रत ‘जाट समीकरण’
आचार्य देवव्रत वर्तमान में गुजरात के राज्यपाल हैं। उन्हें 2019 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल थे। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, आर्य समाज से जुड़े देवव्रत इससे पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक ‘गुरुकुल’ के प्रधानाचार्य रह चुके हैं। वे हिंदी में स्नातकोत्तर हैं और उन्हें शिक्षा और प्रशासन में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
विनय कुमार सक्सेना
राजनीतिक गलियारों में वी.के. सक्सेना, जो वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं, के लिए संभावित रूप से एक बड़ी जिम्मेदारी की अटकलों का बाजार गर्म है।
वी.के. सक्सेना कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और लाइसेंस प्राप्त पायलट हैं। उन्होंने 27 अक्तूबर, 2015 को Khadi and Village Industries Commission (KVIC) प्रमुख का पदभार संभाला था।
2021 में, केंद्र सरकार ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय समिति के सदस्य के रूप में सक्सेना को नामित किया। बाद में उन्हें 2021 के लिए पद्म पुरस्कार चयन समिति के सदस्य के रूप में चुना गया। 2022 में वह दिल्ली के उपराज्यपाल नियुक्त किये गए।
मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 6 अगस्त को अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किया। पूर्व रेल राज्य मंत्री और उत्तर प्रदेश से भाजपा के पुराने सहयोगी, सिन्हा पहली बार 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। अपने छात्र जीवन के दौरान, वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे।
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ग़ौरतलब है कि 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद रिक्त हो गया था जिससे यह चुनाव आवश्यक हो गया है। राष्ट्रपति को लिखे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने अपने फैसले के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 में समाप्त होना था।
