भारत ने श्रीलंका के विद्रोही संगठन LTTE पर लगे प्रतिबंध को और बढ़ाया
केन्द्र सरकार ने श्रीलंका के विद्रोही संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (लिट्टे) पर लगे प्रतिबंध को पांच साल और बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार ने 14 मई, 2019 को एक नई अधिसूचना जारी करते हुए लिट्टे पर लगे बैन को ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) की धारा 3 की उप-धाराएं (1) और (3) के तहत तुरंत प्रभाव से बढ़ा दिया है।
अधिसूचना में कहा गया है कि लिट्टे की लगातार हिंसक और विघटनकारी गतिविधियां भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं। इसका भारत के विरूद्ध लगातार कठोर रुख़ जारी है और इससे भारतीय नगारिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा बना हुआ है।
प्रतिबंध को बढ़ाने का कारण?
भारत सरकार के अनुसार, लिट्टे अभी भी भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। और यह एक हिंसक पृथकतावादी अभियान शुरू कर के उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना चाहता था। लिट्टे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा बना हुआ है।
प्रमुख बिंदु:
- भारत सरकार हर दो साल के लिए लिट्टे पर प्रतिबंध लगाती है तथा दो साल बाद इस अवधि को बढ़ा दिया जाता है।
- श्रीलंका में भारतीय सेना ने ही लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरन और उसके सभी प्रमुख सहयोगियों को मार कर तमिल विद्रोही संगठन का सफाया कर दिया था।
- बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1987 में भारतीय शांति सेना उत्तरी श्रीलंका में शांति स्थापित करने के उद्देश्य से वहां गई लेकिन वहां एलटीटीई के साथ युद्ध में उसके करीब 1,200 जवान मारे गए थे।
- इन तमिल विद्रोहियों द्वारा ही वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की गई थी।
- लिट्टे के संघर्ष के दौरान श्रीलंका सरकार के विरुद्ध शांति बहाली के लिए द्वीपीय देश गई भारतीय सेना को वहां बल प्रयोग करना पड़ा था।
- श्रीलंका में लिट्टे ने कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है। लिट्टे भारत में विशेष रूप से तमिलनाडू में अपने समर्थन का आधार बढ़ा रहे हैं जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रबल विघटनकारी प्रभाव डालेगा।
‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (Liberation Tigers of Tamil Eelam–LTTE):
औपचारिक रूप से उत्तरी श्रीलंका में सक्रिय लिट्टे एक अलगाववादी संगठन है। यह संगठन मई 1976 में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य श्रीलंका के पूर्व तथा उत्तर में स्वतंत्र तमिल ईलम देश का निर्माण करना है। तमिल विद्रोहियों द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या किए जाने के बाद सबसे पहले वर्ष 1992 में भारत द्वारा इस संगठन को प्रतिबंधित किया गया था। जिसके तहत 14 मई, 1992 को ग़ैर-कानूनी गतिविधियों संबंधी अधिनियम के तहत लिट्टे पर प्रतिबंध लगाया गया। इससे पहले ही यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका में भी इस संगठन पर प्रतिबंध था।