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विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ़ बड़ौदा में हुआ विलय

देश के दो सरकारी बैंकों विजया बैंक (Vijaya Bank) और देना बैंक (Dena Bank) का 01 अप्रैल, 2019 से बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) में विलय हो गया है। इस विलय के प्रभावी होने के बाद अब बैंक ऑफ बड़ौदा, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है। विलय के उपरांत विजया बैंक और देना बैंक की सभी शाख़ाएं बैंक ऑफ बड़ौदा की शाख़ाओं के तौर पर काम करना आरंभ करेंगी। भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, अब विजया बैंक और देना बैंक के उपभोक्ताओं को 01 अप्रैल, 2019 से बैंक ऑफ बड़ौदा का उपभोक्ता माना जाएगा।

इस विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 18 हो गई है।

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा को अतिरिक्त ख़र्च की भरपाई के लिये 5042 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया था।

विलय से संबंधित मुख्य बिंदु:

  • विलय के बाद एकीकृत बैंक के पास कुल 9401 बैंक शाखाएं और कुल 13432 एटीएम हो जाएंगे जो कि देश में अपने 12 करोड़ ग्राहकों को सेवाएं देंगे।
  • इसका संयुक्त निकाय का कारोबार अब 14.82 लाख करोड़ रुपये का होगा। यह भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा।
  • शेयर स्वैप डील के तहत विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक एक हज़ार शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 शेयर जबकि देना बैंक के शेयरधारकों को 110 शेयर दिए जायेंगे।

विदित हो कि यह देश के सरकारी बैंकों का दूसरा सबसे बड़ा विलय है। इससे पूर्व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के पांच सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय हुआ था।

शेयर स्वैप (Share Swap) डील:  

जब कोई कंपनी लक्षित कंपनी के शेयरधारकों को अपने शेयर जारी करके अधिग्रहण के लिये उनका भुगतान करती है, तो इसे शेयर स्वैप कहा जाता है। चूंकि डील प्रभावी होने के बाद दूसरी कंपनी के शेयरों की वैल्यू समाप्त हो जाती है इसलिए पहली कंपनी अपने शेयर देती है। इसके लिए दोनों कम्पनियों के शेयरों का सटीक मूल्य निकालकर उनके उचित अनुपात के अनुसार उसे वितरित किया जाता है। डील होने के बाद दूसरी कंपनी के शेयरों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और उनका कोर्इ मतलब नहीं रह जाता है।

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