पानी बचाकर करोड़पति बना महाराष्ट्र का हिवरे बाज़ार गांव
महाराष्ट्र के अहमदनगर के क़रीब बसा हिवरे बाज़ार गांव एक अनोखा गांव कहा जा सकता है। अहमदनगर से 17 किमी. दूर इस छोटे से गांव के लोगों ने लगभग 24 वर्षों के अपने अथक प्रयासों से अपनी आमदनी में 38 गुना की अद्भुत वृद्धि कर ली है। गांव के 70 परिवार करोड़पति हैं। यहाँ छात्र पानी का ऑडिट करते हैं। फिर उसके इस्तेमाल की पूरी योजना बनाई जाती है।
गांव की कायापलट की कहानी:
- वर्ष 1972 से 1982 के बीच इस गांव की हालत भी किसी आम गांव के जैसी ही थी।
- उस समय लगातार तीन साल तक सूखे की मार झेलने वाले इस गांव के लोगों की हालत बदतर हो गई जिसके चलते कई परिवारों को गांव छोड़कर जाने को विवश होना पड़ा।
- जनवरी 1990 में हुई गांव की पहली ग्राम सभा में हालात से निपटने की रणनीति बनायी गई जिसके तहत वन संरक्षण के लिए कुल्हाड़ी के इस्तेमाल पर पाबन्दी लगा दी गई।
- गांव की आस-पास की पहाड़ियों पर पौधारोपण किया गया।
- खेती में भूमिगत जल के उपयोग को भी बंद कर दिया गया। दूसरी ओर रिचार्जिंग से जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ाने लगा।
- प्रशासन की सहायता से गांव में बड़ी संख्या में स्टॉप डैम बनाये गए जिससे पालतू मवेशियों को चारा मिलने लगा। यहाँ क़रीब 350 कुएं और एक तालाब है।
वर्तमान में एक हज़ार हेक्टेयर में बसे इस गांव की 1650 लोगों की आबादी में महज़ 315 परिवार हैं। इन परिवारों की मासिक प्रति व्यक्ति औसत आय 32 हज़ार रुपए है। यहाँ प्रतिदिन 4 से 5 हज़ार लीटर दूध का उत्पादन भी होता है। गांव के 68 व्यक्ति सेना में हैं। गांव में सौ से अधिक इंजीनियर हैं जो देश के विभिन्न भागों में काम कर रहे हैं। इस गांव में ना तो किसी राजनीतिक दल की शाखा है और ना ही किसी दल का कोई होर्डिंग।
