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वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट-2019

अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआई) ने हाल ही में वैश्विक खाद्य नीति रिपोर्ट (Global Food Policy Report-GFPR) 2019 जारी की। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के कई हिस्सों में ग्रामीण क्षेत्र भूख और कुपोषण, ग़रीबी, सीमित आर्थिक अवसर तथा पर्यावरण क्षरण के कारण संकट की स्थिति से गुज़र रहे हैं जो सतत् विकास लक्ष्यों, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों और बेहतर खाद्य तथा पोषण सुरक्षा की प्रगति की दिशा में बाधक है।

रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक आर्थिक विकास बीते साल तेज़ी से आगे बढ़ा लेकिन यह खाद्य संकट की समस्या को कम करने में मददगार साबित नहीं हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि नव-प्रवर्तनशील और समग्र पुनरुद्धार के बिना नए अवसरों का लाभ उठाने और बढ़ती चुनौतियों का सामना करने हेतु साल 2030 तक सभी के लिये खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना मुश्किल होगा।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • विश्व की कुल आबादी में 45.3 फ़ीसदी ग्रामीण आबादी है और विश्व की कम-से-कम 70 फ़ीसदी आबादी बेहद ग़रीब है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, सबसे कमज़ोर और हाशिये पर होने के अलावा ग्रामीण आबादी तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर, अपर्याप्त रोज़गार और उद्यम निर्माण, खराब बुनियादी ढाँचा तथा अपर्याप्त वित्तीय सेवाओं के कारण पीड़ित है।
  • दुनियाभर में 2012 से 2017 के बीच कुपोषण के कारण बच्चों के कद न बढ़ने के मामलों में नौ फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई लेकिन इसके बावजूद ऐसे बच्चों की संख्या 15 करोड़ है, जोकि बहुत ज़्यादा है।
  • स्वच्छ पेयजल और प्रदूषण रहित वायु की सीमित पहुँच के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन यापन की स्थिति बेहद ख़राब है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनियाभर में क़रीब 50 फ़ीसदी ग्रामीण युवाओं के पास कोई औपचारिक रोज़गार नहीं है, वे या तो बेरोज़गार हैं या अस्थायी रोज़गार में लगे हैं।
  • विश्व के कई देशों में 60 फ़ीसदी खेती ऐसी महिलाओं द्वारा की जाती है जिनके पास ना संपत्ति है, ना ही राजनीतिक पृष्ठभूमि और ना ही उनकी कृषि विस्तार सेवाओं तक पहुँच होती है।

भारत के सन्दर्भ में:
रिपोर्ट में भारत सरकार के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इसका लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दोबारा सशक्त करके ढांचागत बदलाव लाना है। बीते कुछ वर्षों में देश में प्रमुख फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य उनके उत्पादन लागत का 1.5 गुना अधिक किया गया है। भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने एवं बुनियादी सेवाओं तक पहुँच बढ़ाने के साथ-साथ कृषि और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में निवेश बढ़ाकर ग्रामीण आजीविका को बेहतर बनाने के कई उपाय किये गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण परिवर्तन और पुनरुद्धार स्वतंत्रता के बाद से भारत के विकास के प्रयासों का प्रमुख लक्ष्य रहा है। भारत में बदलते उपभोग पैटर्न ने शहरीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, आय में वृद्धि और खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं तथा खाद्य प्रणालियों के बढ़ते एकीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता और रोज़गार के नए अवसर प्रदान किये हैं। प्रगति के बावजूद भारत लगातार जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहा है। भूमि क्षरण, मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट और जैव विविधता की हानि ने  ग्रामीण रूपांतरण को धीमा कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (International Food Policy Research Institute-IFPRI) :
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफ़पीआरआई) विकासशील देशों में गरीबी, भूख और कुपोषण को कम करने के लिये अनुसंधान आधारित नीतिगत समाधान प्रदान करता है। इसकी स्थापना 1975 में की गई थी। यह सीजीआईएआर (Consultative Group for International Agricultural Research-CGIAR), जोकि एक वैश्विक साझेदारी है और जो खाद्य-सुरक्षित भविष्य हेतु अनुसंधान में लगे संगठनों को एकजुट करती है, का एक अनुसंधान केंद्र है। वर्तमान में यह 50 से अधिक देशों में काम कर रहा है।

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