हैदराबाद में प्रथम ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्पोर्ट्स मीट–2019’ का उद्घाटन
जनजातीय कार्य राज्य मंत्री जसवंतसिंह सुमनभाई भाभोर ने 14 जनवरी, 2019 को हैदराबाद में ‘प्रथम एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय स्पोर्ट्स मीट–2019’ का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने मार्च पास्ट किया तत्पश्चात तेलंगाना के विभिन्न जनजातीय कल्याण आवासीय विद्यालयों के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस अवसर पर तेलंगाना सरकार के जनजातीय कल्याण सचिव बेनहर दत्त एक्का, जनजातीय कल्याण आयुक्त डॉ क्रिस्टिना चोंगथु, तेलंगाना जनजातीय कल्याण आवासीय शिक्षा संस्थान, हैदराबाद के सचिव डॉ. आर.एस. प्रवीण कुमार आईपीएस, तेलंगाना के खेल प्राधिकरण-अध्यक्ष ए वेंकेटेश्वर रेड्डी तथा भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर राज्य मंत्री भाभोर ने ‘ईएमआरएस स्पोर्ट्समीट’ नामक एक ऐप भी लॉन्च की।
मुख्य बिंदु:
• यह राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता जीएमसी बालयोगी स्टेडियम, गाचीबावली में 14 से 16 जनवरी, 2019 तक आयोजित की जाएगी।
• इस खेल प्रतियोगिता में देश के 20 राज्यों के 1777 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं जिनमें 975 लड़के और 802 लड़कियां हैं।
• 16 जनवरी, 2019 तक चलने वाली इस खेल प्रतियोगिता में हॉकी, कुश्ती, फुटबॉल, तीरंदाज़ी, वालीबॉल, कबड्डी, हैंडबॉल, खो-खो तथा एथलेटिक्स सहित 13 विभिन्न वर्गों में स्पर्धाएं होंगी।
• खेलों का समापन केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुयाल ओराम द्वारा 16 जनवरी, 2019 को किया जाएगा।
• जनजातीय कल्याण आवासीय शैक्षिक संस्थान सोसाएटी द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता की मेजबानी तेलंगाना कर रहा है।
इस अवसर पर राज्य मंत्री भाभोर ने बताया कि वर्ष 2022 तक सरकार की देशभर में 400 से अधिक एकलव्य आदर्श विद्यालयों की स्थापना की योजना है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नवोदय विद्यालयों के अनुरूप एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों का विकास किया जा रहा है, जिसमें जनजातीय छात्रों के आमूल विकास पर ध्यान दिया जायेगा। इस हेतु सरकार द्वारा बजट में भारी प्रावधान भी किये जा रहे हैं।
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस):
विदित हो कि एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय की एक अग्रणी योजना है। यह योजना वर्ष 1997-1998 में जनजातीय विद्यार्थियों के लिए दूरदराज़ के जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्ता संपन्न शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू की गयी थी।
