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30 साल से शासन कर रहे कज़ाख़िस्तान के राष्ट्रपति नज़रबायेव ने पद से इस्तीफा दिया

पिछले तीन दशक से तेल संपन्न देश कज़ाख़िस्तान की सत्ता संभाल रहे राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव ने 19 मार्च, 2019 को अपने पद से इस्तीफा दे कर सबको चौंका दिया। ये 30 सालों से देश की सत्ता में थे।

राष्ट्र के नाम संबोधन में नूरसुल्तान नज़रबायेव ने कहा कि उन्होंने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके बचे कार्यकाल तक संसद के ऊपरी सदन के स्पीकर क़ासिम-जोमात तोकायेव कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाएंगे। तोकायेव देश के पूर्व प्रधानमंत्री हैं और नज़रबायेव के करीबी माने जाते हैं।

नज़रबायेव के बारे में विशेष:

  • 06 जुलाई, 1940 को जन्मे नज़रबायेव ने सोवियत संघ के विघटन के बाद से कज़ाख़िस्तान का एक कम्युनिस्ट नेता और फिर राष्ट्रपति के तौर पर नेतृत्व किया।
  • कज़ाख़िस्तान में बहुत से लोग इन्हें हीरो की तरह देखते हैं। इसके विपरीत कई इन्हें एक अहंकारी तानाशाह मानते हैं।
  • देश में हवाई अड्डों, सड़कों, स्कूलों तथा चौक-चौराहों पर इनका नाम लिखा हुआ मिलता है।
  • 1980 से 1991 के मध्य ये कज़ाक कम्युनिस्ट पार्टी के फ़र्स्ट सेक्रेटरी थे।
  • 1991 में जब सोवियत संघ का पतन हुआ तो नज़रबायेव ने स्वयं को नए गणतंत्र के राष्ट्रपति पद हेतु इकलौते उम्मीदवार के तौर पर पेश किया। इन्होंने 90 फीसदी से भी ज़्यादा वोट हासिल कर ऐतिहासिक चुनावी जीत दर्ज की। यद्यपि इसमें उनका कार्यकाल केवल चार साल का ही था। लेकिन इन्होंने देश की संसद में एक क़ानून पारित किया जिसमें उन्हें ये छूट दी कि वे आजीवन राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें। कज़ाख़िस्तान के संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति केवल दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बन सकता है।
  • नज़रबायेव मध्य एशिया के उन इकलौते नेताओं में से एक हैं जो 21वीं सदी में अमेरिका पर शासन करने वाले सभी अमेरिकी राष्ट्रपतियों से एक से अधिक बार मिल चुके हैं।

भारत के साथ सम्बन्ध:

विदित हो कि भारत और कज़ाख़िस्तान के बीच काफी मज़बूत संबंध रहे हैं। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा अगस्त 2018 में एक बयान में कहा गया था की कज़ाख़िस्तान के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी और बहुमुखी संबंध 2015 और 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कज़ाख़िस्तान दौरे से मज़बूत हुए हैं। अगस्त 2018 में ही भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी कज़ाख़िस्तान का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने अस्ताना में कज़ाख़िस्तान के विदेश मंत्री कैरात अब्द्राखमानोव के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की थी।

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