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अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस-2019

‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ 21 फरवरी, 2019 को मनाया गया। वर्ष 2019 के इस दिवस का विषय था- “विकास, शांति निर्माण और मेल-जोल हेतु स्वदेशी भाषायें महत्त्व रखती हैं” (Indigenous Languages matter for developemt, Peace building and reconciliation) ।

विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता व बहुभाषिता को बढ़ावा देने तथा अलग-अलग मातृभाषाओं के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से हर साल 21 फरवरी को यह दिवस मनाया जाता है।

वैश्विक स्तर पर:

संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार, विश्वभर में बोली जाने वाली ज़बानों की संख्या लगभग 6900 है। जिसमें से 90 प्रतिशत भाषाएं बोलने वालों की संख्या एक लाख से कम है। विश्व की कुल जनसंख्या में क़रीब 60 प्रतिशत लोग 30 प्रमुख ज़बानें बोलते हैं। आगामी 40 वर्षों में विश्व की चार हज़ार से ज़्यादा भाषाओं के विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है।

भारत के सन्दर्भ में:

वर्ष 1961 के जनगणना आंकड़ों के मुताबिक, भारत जैसे बहुभाषी देश में 1652 भाषाएं बोली जाती थीं जोकि अब क़रीब 1365 है, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, हिंदी और पंजाबी के बाद बांग्ला भारत में तीसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

भारत के अलावा हिंदी मॉरीशस, त्रिनिदाद-टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम की प्रमुख भाषा है। हिंदी फिजी की सरकारी भाषा है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (International Mother Language Day):

विदित हो कि 21 फरवरी, 1952 को ढाका में कई छात्रों ने बांग्ला को राष्ट्रभाषा बनाने की मांग को लेकर पुलिस की गोलियों के सामने शहादत पाई थी। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी स्मृति में प्रतिवर्ष इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया। यूनेस्को के आम सम्मेलन द्वारा नवंबर, 1999 में इस दिवस को मनाने की घोषणा की गई थी। तत्पश्चात फरवरी, 2000 से प्रतिवर्ष भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर में यह दिवस मनाया जाता है।

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