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6 Deadliest Earthquakes: दुनिया के 6 बड़े भूकंप..

6 Deadliest Earthquakes: पृथ्वी की सतह के अचानक हिलने से उसके भीतर से एकदम से बड़ी मात्रा में ऊर्जा बाहर निकलती है जिससे भूकंप या भूचाल आता है। यह ऊर्जा आमतौर पर पृथ्वी की पपड़ी के भीतर चट्टानों के टूटने या खिसकने से निकलती है। भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं और पृथ्वी के माध्यम से यात्रा करती हैं, जिससे जमीन हिलती है और भूकंप आते हैं। आइये जानते हैं दुनिया के छः ऐसे बड़े भूकम्पों के बारे में जिहोंने धरती को दहला कर रख दिया।

1960 का ग्रेट चिली भूकंप

Residents of Valdivia, Chile, look over wrecked buildings on May 31, 1960.

1960 का वाल्डिविया भूकंप, जिसे ग्रेट चिली भूकंप के नाम से भी जाना जाता है, अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप था जिसकी तीव्रता 9.5 मापी गई थी।

यह 22 मई, 1960 को दक्षिणी चिली के तट पर आया था। इसका केंद्र दक्षिणी चिली के तट पर वाल्डिविया शहर के निकट था। इस भूकंप ने एक विनाशकारी सुनामी उत्पन्न की जिसने चिली के तट के साथ-साथ प्रशांत महासागर के पार हवाई, जापान और फिलीपींस में भी तबाही मचाई।

चिली सरकार के अनुमान के मुताबिक़, इससे 20 लाख लोग बेघर हो गए थे और 550 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था। हवाई में, सुनामी के कारण 61 लोगों की मौत हुई, 43 लोग घायल हुए और 23.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।

भूकंप और सुनामी से कुल मिलकर क़रीब 5 हज़ार लोगों की मौत हुई। इस भूकंप का प्रभाव हवाई, जापान और फिलीपीन्स सहित पूरे प्रशांत महासागर तक देखा गया। 

1964 का ग्रेट अलास्का भूकंप

1964 Great Alaska Earthquake.

1964 का अलास्का भूकंप, 27 मार्च, 1964 को दक्षिण-मध्य अलास्का में उसके प्रिंस विलियम साउंड क्षेत्र में आया भूकंप, जिसकी तीव्रता 9.2 थी। इसे ग्रेट अलास्का भूकंप के नाम से भी जाना जाता है।

इसने 1906 के सैन फ्रांसिस्को भूकंप से कम से कम दोगुनी ऊर्जा उत्सर्जित की और लगभग 502,000 वर्ग मील (1,300,000 वर्ग किमी) क्षेत्र में ज़मीन पर महसूस किया गया।

राज्य की कम जनसंख्या घनत्व के कारण मरने वालों की संख्या केवल 131 थी, लेकिन संपत्ति का नुकसान बहुत अधिक था। यह भूकंप लगभग 4.5 मिनट तक चला और अमेरिकी इतिहास में दर्ज किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप है।

यह 1960 में चिली में आए 9.5 तीव्रता के भूकंप के बाद अब तक का दूसरा सबसे बड़ा भूकंप भी है। इसमें 100 से ज़्यादा मौतें और 2 अरब डॉलर से ज़्यादा का नुक़सान हुआ।

1952 का कामचटका भूकंप

1952 Kamchatka Peninsula Tsunami

4 नवंबर, 1952 को, 16:52 GMT पर, रूस के कामचटका प्रायद्वीप के तट पर एक भूकंप आया। इस भूकंप की तीव्रता 9.0 थी जोकि इतनी तीव्रता का दुनिया का पहला दर्ज किया गया भूकंप था। इस भूकंप के परिणामस्वरूप आई सुनामी के कारण भारी तबाही हुई, जिसने कामचटका और कुरील द्वीप समूह के पूर्वी तटों के लगभग 700 किलोमीटर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। तट पर लहरों की औसत ऊँचाई 6-7 मीटर तक पहुँच गई। लगभग 10 लाख डॉलर का नुक़सान हुआ।  

2004 का सुमात्रा भूकंप

2004 Sumatra Earthquake

26 दिसंबर, 2004 को इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के तट पर आया। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 9.1 थी। इससे आई सुनामी ने दक्षिण एशिया और पूर्वी अफ़्रीका में भारी तबाही मचाई। क़रीब 15 देशों में लगभग 2.8 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई जबकि क़रीब 11 लाख लोग बेघर हो गए। इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत, मालदीव और थाईलैंड को भारी नुक़सान हुआ।

2010 का चिली (बायोबायो) भूकंप

2010 का चिली भूकंप, जिसे मौल भूकंप के नाम से भी जाना जाता है, 27 फ़रवरी, 2010 को मध्य चिली के तट पर आया 8.8 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप था। भूकंप का केंद्र तट से 8 किमी (5 मील) दूर था जबकि इसका उपकेंद्र 35 किमी की गहराई पर था। इससे सुनामी आई जिसका तटीय क्षेत्र पर और भी ज़्यादा असर पड़ा। चिली के बायोबायो क्षेत्र में आए इस भूकंप में पाँच सौ से ज़्यादा लोगों की जान चली गई। भूकंप के कारण भारी नुक़सान हुआ और 8 लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए।

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2011 तोहोकू (जापान) भूकंप

11 मार्च, 2011 को, जापान ट्रेंच पर होन्शू के उत्तर-पूर्वी तट पर 9.1 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप से उत्पन्न सुनामी 30 मिनट के भीतर तट पर पहुँच गई, जिसने समुद्री दीवारों को तोड़ दिया और कुछ ही दिनों में तीन परमाणु रिएक्टरों को निष्क्रिय कर दिया। 2011 के तोहोकू भूकंप और सुनामी, जिसे अक्सर महान पूर्वी जापान भूकंप और सुनामी कहा जाता है, के परिणामस्वरूप 18,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें कई हज़ार ऐसे पीड़ित भी शामिल थे जिनका कभी पता नहीं चल पाया।

यह जापान में अब तक का सबसे बड़ा और सन 1900 के बाद से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप था।

इसे ग्रेट तोहोकू भूकंप भी कहा जाता है।

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