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CRIB Rare Blood Group: भारत में मिला दुनिया का अनोखा ब्लड ग्रुप..

CRIB Rare Blood Group: वैज्ञानिकों की टीम ने भारत में दुनिया के सबसे अनोखे ब्लड ग्रुप CRIB की खोज की है। यह एक नए प्रकार का ब्लड ग्रुप है। यह ब्लड ग्रुप बेंगलुरु की एक महिला में पाया गया है, जिसकी लगभग 10 महीने की स्टडी के बाद पहचान की जा सकी है।

CRIB Rare Blood Group: हम सभी बचपन से पढ़ते आएँ हैं कि ब्लड ग्रुप्स कई तरह के होते हैं हर इंसान का ब्लड ग्रुप अलग हो सकता है असल में यह उसकी जैविक ‘आईडी’ की तरह होता है। इसे आसान भाषा में समझें तो ब्लड ग्रुप एक ऐसा कोड होता है जो यह तय करता है कि जरूरत पड़ने पर कौन सा खून उस व्यक्ति को जिंदगी दे सकता है।

इसको और भी आसानी से समझें तो हमारा ब्लड ग्रुप हमारी जन्म कुंडली की तरह होता है क्योंकि इसमें हमारे जीवन के कई राज छिपे होते हैं, ब्लड ग्रुप से न सिर्फ़ कई तरह की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है बल्कि उनसे होने वाले ख़तरों को समझने और उनके बेहतर इलाज को हासिल करने में भी ये मददगार होता है।

यूँ तो ब्लड ग्रुप कई तरह के होते हैं लेकिन आमतौर पर चार ब्लड ग्रुप main माने जाते हैं- A, B, AB और O.. ज़रूरत पड़ने पर लोगों को सेम ब्लड ग्रुप का ही ब्लड चढ़ाया जाता है।  लेकिन, कई लोगों का ब्लड ग्रुप रेयर भी होता है, जिससे डॉक्टर्स को कई बार मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है।

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भारत में दुनिया के नए ब्लड ग्रुप की खोज

CRIB Rare Blood Group: इसी कड़ी में भारत में अब एक ऐसे नए ब्लड ग्रुप का पता चला है, जिसे दुनिया का सबसे Rare Blood Group (दुर्लभ रक्त समूह) कहा जा रहा है। ब्रिटेन और भारत के वैज्ञानिकों ने मिलकर इसकी खोज की है। माना जा रहा है कि इस नई खोज से ब्लड ट्रांसफ्यूजन के क्षेत्र में न सिर्फ़ एक बड़ा बदलाव आ सकता है, बल्कि ट्रांसफ्यूजन प्रोटोकॉल भी बदल सकता है। इसके अलावा, इस खोज का इंटेंसिव केयर और प्रसवपूर्व निदान जैसे क्षेत्रों में भी महत्त्वपूर्ण असर देखने को मिल सकता है।

CRIB ब्लड ग्रुप का मतलब

इस Rare Blood Group का नाम है- CRIB.. इसका यह नाम इसकी पूरी पहचान को बताता है। CRIB में CR का मतलब है क्रोमर (Cromer), I का मतलब है इंडिया और B का मतलब है बेंगलुरु। क्योंकि यह ब्लड ग्रुप बेंगलुरु की एक महिला में पाया गया है इसीलिए इसे यह नाम दिया गया है। मतलब यह कि यह ब्लड ग्रुप Cromer ब्लड ग्रुप सिस्टम से जुड़ा है और साथ ही यह पहली बार भारत (India) के बेंगलुरु (Bengaluru) की एक मरीज में पाया गया है। इसलिए इसका नाम CRIB रखा गया।   

कैसे हुई CRIB की पहचान

कर्नाटक के बेंगलुरु की एक 38 वर्षीय महिला अपनी सर्जरी कराने अस्पताल पहुंची, डॉक्टर्स ने सर्जरी के दौरान कहीं खून की ज़रूरत न पड़ जाए इसके लिये उस महिला के ब्लड ग्रुप की जाँच की, लेकिन वह तब हैरान रह गए जब उन्होंने देखा कि उस महिला के परिवार समेत करीब 20 लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया लेकिन उनमें से किसी से भी उस महिला का ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ। ऐसे में डॉक्टर्स के लिए महिला का ब्लड ग्रुप पहचानना एक चुनौती बन गया. इसके लिए तमाम टेस्ट भी किए गए, लेकिन ब्लड ग्रुप की पहचान नहीं हो सकी।

हालाँकि, डॉक्टर्स ने सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी कर ली और खून की जरूरत नहीं पड़ी।

जाँच के लिए भेजा UK की लैबोरेटरी

इसके बाद उस महिला के ब्लड सैंपल को जांच के लिए Rotary Bangalore TTK Blood Centre में भेजा गया, लेकिन कोई पॉजिटिव रिजल्ट नहीं निकला। ऐसे में फिर ब्लड के सैंपल को UK और ब्रिस्टल की इंटरनेशनल ब्लड ग्रुप रेफरेंस लैबोरेटरी (IBGRL) भेजा गया। यह वही लेबोरेटरी है जहाँ दुनियाभर से ख़ून के सैम्पल जाँच के लिये भेजे जाते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वो दूसरे ब्लड ग्रुप्स के साथ मैच करते हैं या नहीं। जैसे कि भारत के मामले में दक्षिण भारत के अलग-अलग हिस्सों से ख़ून के सैम्पल बेंगलुरु में मौजूद Rotary Bangalore TTK Blood Centre और उत्तर भारत में चंडीगढ़ में मौजूद पीजीआई में भेजे जाते हैं।   

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10 महीने की स्टडी के बाद हुई पहचान

ब्रिस्टल लैब में इस रक्त समूह पर गहराई से शोध किया गया और क़रीब 10 महीने की स्टडी के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि इस ख़ून में यूनीक एंटीजन है और यह अब तक ज्ञात ब्लड ग्रुप्स से कई मायनों में अलग है क्योंकि अब तक केवल एक ही व्यक्ति में इसकी पहचान की गई है। अंततः शोधकर्ताओं ने इसे एक नया ब्लड ग्रुप घोषित कर इसे आधिकारिक रूप से CRIB नाम दे दिया।  

BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक क्रोमर (Cromer) ब्लड ग्रुप सिस्टम में 20 एंटीजन थे जिनकी पहचान हो चुकी है। CRIB अब इस सिस्टम का 21वां एंटीजन बन गया है।  

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