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Platonic Love Relationship: प्लेटोनिक लव या अफलातूनी प्यार क्या होता है..

Platonic Love Relationship: महान दार्शनिक प्लेटो के नाम से जाना जाने वाला प्लेटोनिक रिश्ते के अहसास को, इस अनुभूति को व्यक्त करना बहुत मुश्किल है। आखिर यह कैसा रिश्ता है? प्लेटो के दर्शन और टैगोर की प्रेम कहानी से इसका क्या संबंध है?

Platonic Love Relationship:  प्रेम जीवन के सुखद एहसासों में से एक है। यह किसी भी रिश्ते का आधार होता है। लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि किसी महिला और पुरुष के बीच का हर प्रेम संबंध एक ही तरह से आँका जाए। कई बार कोई रिश्ता बस एक गहरे लगाव के साथ ही जुड़ा होता है। ऐसा प्यार जिसमें सिर्फ़ बेहद गहरा लगाव, निस्वार्थ भाव, अटूट विश्वास, समझदारी, ईमानदारी जैसे जज़्बातों से ज्यादा कोई और स्वार्थ नहीं होता। ऐसे रिश्ते में प्रेम या प्यार तो होता है लेकिन निःस्वार्थ।

प्लेटो से क्या है संबंध

Platonic Love Relationship: महान ग्रीक दार्शनिक प्लेटो के नाम से जाना जाने वाला यह प्लेटोनिक प्रेम, साधारण शब्दों में अफलातूनी प्यार कहलाता है। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक इस अहसास को, इस अनुभूति को व्यक्त करना काफ़ी मुश्किल है। दरअसल, प्लेटोनिक लव दैहिक या शारीरिक आकर्षण से परे होता है। इसमें स्वार्थ नहीं होता, यह नफा या नुकसान नहीं सोचता। यह महज़ आकर्षण नहीं कहा जा सकता, क्योंकि आकर्षण समय के साथ कम हो जाता है, लेकिन प्लेटोनिक रिश्ता कहीं-न-कहीं मधुर स्मृतियों में संचित रहता है।  

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शब्द की उत्पत्ति

Platonic Love Relationship: “प्लेटोनिक” शब्द प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्लेटो से आया है। दरअसल, प्लेटो के प्रेम संबंधी दार्शनिक विचारों में एक पवित्र आदर्श की ओर आध्यात्मिक उत्थान शामिल होता था। प्लेटो ने सिद्धांत दिया था कि आदर्श रिश्ता रोमांस, कामुकता और बुद्धि का मिश्रण होता है—मन का सच्चा मिलन। इसीलिये आधुनिक शब्द “प्लेटोनिक संबंध” लोगों के बीच घनिष्ठ, गैर-यौन, गैर-रोमांटिक दोस्ती के विचार पर केंद्रित है।

क्या है प्लेटोनिक संबंध

Platonic Love Relationship: प्लेटोनिक प्रेम संबंध या अफलातूनी प्यार का रिश्ता एक ऐसी घनिष्ठ, भावनात्मक रूप से अंतरंग दोस्ती का रिश्ता होता है, जो आपसी स्नेह, सम्मान और गहरी देखभाल पर आधारित होता है, लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की यौन या रोमांटिक भावना या जुड़ाव नहीं होता। यह एक मज़बूत बंधन होता है, जो निष्काम होता है। मतलब इसमें कोई शारीरिक या रोमांटिक संबंध नहीं होता।

रोमांस, यौन इच्छा और वासना का अभाव

यह संबंध गहरा और सार्थक होता है, जिसमें संवेदनशीलता और भावनात्मक समर्थन शामिल होता है, लेकिन दोनों व्यक्तियों के बीच कोई यौन या शारीरिक इच्छा नहीं होती।

पारस्परिक सम्मान और स्नेह

यह रिश्ता एक-दूसरे के प्रति व्यक्तिगत रूप से साझा प्रशंसा और एक-दूसरे को बढ़ते और सफल होते देखने की इच्छा पर आधारित होता है। एक-दूसरे की प्रगति, विकास और अच्छे भविष्य की कामना से जुड़ा होता है।

रोमांटिक रिश्तों जितना ही गहरा हो सकता है

एक प्लेटोनिक रिश्ते की गहराई उतनी ही शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण हो सकती है जितनी एक रोमांटिक रिश्ता की, जोकि जुड़ाव और साथ का गहरा एहसास देता है।

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गहरे संबंधों की पहचान

व्यावहारिक रूप से, प्लेटोनिक रिश्ते को दो लोगों के बीच एक गहरे संबंध के रूप में समझा जा सकता है। यह रोमांटिक या यौन संबंधों के बिना भी गहरा अंतरंग होता है। कुछ मायनों में, प्लेटोनिक रिश्ता वह होता है जिसमें शामिल लोगों को लगता है कि उन्हें अपना जीवनसाथी मिल गया है, चाहे वह व्यक्ति जीवनसाथी हो, दोस्त हो, गुरु हो या भाई-बहन ही क्यों न हो।

प्लेटोनिक प्रेम के लक्षण

विश्वास और भेद्यता की प्रबल भावना
खुला और ईमानदार संवाद
एक-दूसरे को बढ़ते और सफल होते देखने की इच्छा
लगातार भावनात्मक समर्थन और प्रोत्साहन
एक-दूसरे के प्रति सच्ची प्रशंसा और सम्मान

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टैगोर का प्लेटोनिक प्रेम

इस प्रकार का प्रेम अक्सर फिल्मों में देखने को मिल जाता है लेकिन इसका एक बड़ा उदहारण राष्ट्रगान के रचयिता दार्शनिक, कवि और एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर के जीवन से लिया जा सकता है। टैगोर, जिन्होंने प्रेम पर अनेकों रचनाएं लिखीं, जिनमें से उनकी एक मशहूर रचना है, गीतांजलि। अर्जेंटीना की मशहूर नारीवादी लेखिका और कई भाषाओं की जानकार विक्टोरिया ओकैम्पो ने 1914 में जब उनकी इस रचना को पढ़ा तो 25 वर्षीया यह लेखिका टैगोर की कविताओं की दीवानी हो गई। इसके बाद जब एक बार 1924 में टैगोर पेरू की यात्रा के दौरान बीमार पड़ गए तो उन्हें ब्यूनस आयर्स में रुकना पड़ा जहाँ ओकैम्पो से उनकी मुलाकात हुई।  

Rabindranath Tagore with Ocampo

टैगोर, ओकैम्पो की बुद्धिमता और व्यक्तित्व से इतने प्रभावित हुए कि उनको कई कविताएं भी समर्पित कीं। उनकी ये रचनाएं पूर्वी नाम से प्रकाशित हुईं। टैगोर और ओकैम्पो अपने जीवन में सिर्फ़ दो बार ही मिले। दोनों की दूसरी और अंतिम मुलाकात साल 1930 में हुई थी। टैगोर जबतक जीवित रहे, दोनों के बीच पत्र व्यवहार चलता रहा, जिसमें उनके बौद्धिक प्रेम और प्रगाढ़ रिश्तों की साफ झलक मिलती है। टैगोर, ओकैम्पो को प्रेम से विजोया पुकारते थे। शारीरिक आकर्षण से परे दोनों का यह विशुद्ध आध्यात्मिक एहसास दो अलग देशों और संस्कृतियों के बीच एक मिसाल कहा जा सकता है। टैगोर और ओकैम्पो के बीच के इस पवित्र और अप्रतिम प्रेम को अक्सर प्लेटोनिक लव की संज्ञा दी जाती है। विद्वान बौद्धिक प्रेम और आध्यात्मिक प्रेम के रूप में भी इसका विवरण करते हैं।

अन्य उदहारण

फ़िल्में समाज का आईना कही जाती हैं क्योंकि ये विभिन्न मुद्दों को उजागर करके समाज में लोगों को जागरूक करने का काम करती हैं। और अक्सर फिल्मों ने अपने काल्पनिक किरदारों के ज़रिये इस प्रकार के विशुद्ध और वासना से परे प्रेम के दर्शन को भी उजागर किया है। जैसे, 60 के दशक में आई हिंदी फिल्म साहब, बीबी और गुलाम। प्रसिद्ध उपन्यासकार बिमल मित्रा की बांग्ला उपन्यास पर आधारित इस फ़िल्म में जमींदार घर की छोटी बहू (मीना कुमारी) और भूतनाथ (गुरुदत्त) के बीच ऐसा ही रिश्ता होता है, जिसमें शरीर की चाहत से परे आत्मिक प्रेम को महसूस किया जा सकता है।

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