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मुक्त व्यापार (Free trade) क्या है?

मुक्त व्यापार (Free trade)

परिभाषा

देशों द्वारा आयात-निर्यात में भेदभाव को समाप्त करने की नीति को “मुक्त व्यापार” (Free trade) कहते हैं। टैरिफ और कुछ ग़ैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने से मुक्त व्यापार भागीदारों की एक-दूसरे के बाज़ारों में पहुँच आसान होती है। कोई भी देश सभी वस्तुएँ नहीं बना सकता या कम-से-कम कीमत पर बेहतरीन गुणवत्ता चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिये सभी सेवाएँ मुहैया नहीं करा सकता। इसे देखते हुए मुक्त व्यापार व्यवस्था की ज़रूरत होती है। मुक्त व्यापार किसी भी प्रकार की व्यापार नीतियों का निषेध है और इसके लिये किसी सरकार को कोई विशेष कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसे व्यापार उदारीकरण (Laissez-faire Trade) के रूप में जाना जाता है।  इसके तहत विभिन्न अर्थव्यवस्था वाले देशों के ख़रीददार और विक्रेता स्वेच्छा से सरकार, वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या किसी अन्य प्रतिबंध की चिंता किये बिना व्यापार कर सकते हैं। इससे क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।

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मुक्त व्यापार (Free trade) के फ़ायदे

  • इसके समर्थकों का मानना है कि दूसरे देशों के उत्पादों के सरल आयात से उपभोक्ता को निश्चित ही लाभ होता है।
  • मुक्त व्यापार (Free trade) समझौते विदेशी निवेश के प्रवाह को बढ़ावा देते हैं तथा व्यापार, उत्पादकता और नवाचार को प्रोत्साहित करते हैं।
  • प्रत्येक देश में उपभोक्ता आयात बाधाओं को कम करने के पक्ष में होते हैं क्योंकि ऐसा होने पर बेहद प्रतिस्पर्धी मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उन्हें सहज-सुलभ हो जाते हैं।
  • मुक्त व्यापार समझौते विकासशील देशों के लिए सहायक होते हैं साथ ही इससे व्यापार हेतु गतिशीलता का वातावरण भी तैयार होता है।
  • मुक्त व्यापार बढ़ने से न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था मज़बूत होगी, बल्कि सभी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को इससे फायदा होगा।

मुक्त व्यापार (Free Trade) की अवधारणा
ब्रिटेन के दो प्रमुख अर्थशास्त्रियों ‘एडम स्मिथ’ (Adam Smith) और ‘डेविड रिकार्डो’ (David Ricardo) ने तुलनात्मक लाभ की आर्थिक अवधारणा के ज़रिये मुक्त व्यापार के विचार को समझाया था। इनके अनुसार, जब कोई देश किसी अन्य देश से बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करता है तब तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage) होता है। ऐसे देश जिनके पास इन उत्पादों की सीमित मात्रा होती है, वे अन्य देशों से इनका आयात कर सकते हैं। एक मुक्त व्यापार उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन हेतु आर्थिक संसाधनों के उपयोग को भी प्रभावित करता है।

Free trade के सामने उत्पन्न चुनौतियाँ

विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार वर्तमान विश्व की आर्थिक आवश्यकता है और इसीलिये मुक्त व्यापार की राह में आने वाली बाधाओं को समाप्त किया जाना भी ज़रूरी है जिससे आर्थिक विकास का लाभ सभी देशों को प्राप्त हो सके। मुक्त व्यापार तथा व्यापार का उदारीकरण जिस रफ़्तार से होना चाहिये था वह नहीं हो पाया है। जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है। टैरिफ वॉर (Tariff War or Customs War) को लेकर बढ़ती चिंता और विश्वभर में अपने उद्योगों के हितों की रक्षा के लिये अन्य देशों के सामने उत्पन्न बाधाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की आशंका है। मुक्त व्यापार में कोई भी प्रतिबंध केवल कुछ पूंजीपतियों के हित में काम करता है और बड़े पैमाने पर यह जनता के हित में नहीं होता।

भारत के सन्दर्भ में

भारत द्वारा 1990 के दशक में अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया गया। जिसके तहत उन क्षेत्रों को खोला गया जो अब तक केवल सार्वजनिक क्षेत्रा के लिये संरक्षित माने जाते थे। विश्वभर के निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया गया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था का समग्र आर्थिक वातावरण उदार बन सके। भले ही ये कहना मुश्किल हो कि भारत अपने प्रयासों में कहाँ तक कामयाब हुआ है किन्तु कहा जा सकता है कि निश्चित रूप से भारत ने एक सही दिशा की ओर क़दम बढ़ाया है।

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