भारत की पहली स्वदेशी तकनीक से निर्मित सेमिकंडक्टर चिप लॉन्च
दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने बेंगलुरु स्थित सेमिकंडक्टर कंपनी “सिग्नलचिप” द्वारा 4जी/एलटीई और 5जी एनआर मॉडम्स के लिए 27 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में भारत की प्रथम स्वदेशी तकनीक से निर्मित सेमिकंडक्टर चिप्स जारी की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत आंकड़ों के संदर्भ में तब तक सुरक्षित नहीं रह सकता, जब तक वह स्वयं की चिप्स का निर्माण न कर ले। साथ ही उन्होंने इस चिप के जारी होने को भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि इनके माध्यम से भारत विश्व के कुलीन वर्ग में अपनी जगह बना रहा है और इसमें सकारात्मक आर्थिक निहितार्थों के अलावा भारत के आंकड़ों की सुरक्षा और आंकड़ों की सम्प्रभुता की दृष्टि से व्यापक निहितार्थ होंगे।
सिग्नलचिप द्वारा डिज़ाइन की गई चार चिप्स जारी की गईं:
- एससीबीएम 3412: एकल डिवाइस में बेसबैंड और ट्रांसीवर सेक्शन्स सहित एकल चिप 4जी/एलटीई मॉडम
- एससीबीएम 3404: सिंगल चिप 4X4 एलटीई बेसबैंड मॉडम
- एससीआरएफ 3402: एलटीई के लिए 2X2 ट्रांसीवर
- एससीआरएफ 4502: 5जीएनआर मानकों के लिए 2X2 ट्रांसीवर
विदित हो कि “एससीआरएफ 1401 पर निर्मित अगम्बे श्रृंखला” सिग्नलचिप द्वारा 2015 में निर्मित की गई 3जी/4जी और वाईफाई जैसे हाई परफार्मेंस वायरलेस मानकों के लिए भारत की पहली आरएफ ट्रांस-रिसीवर चिप है।
भारत 1.1 बिलियन से अधिक मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं के साथ विश्व में सर्वाधिक मोबाइल फोन इस्तेमाल होने वाले देशों में से एक है। ऐसे में सिग्नलचिप ने हाई परफार्मेंस और किफायती प्रणालियों का सृजन किया है जो नेटवर्क के घनीभवन या डेंसिफिकेशन को समर्थ बनाता है।
चिप्स की विशेषताएं:
- ये आरएफ खंड 6जीएचज़ेड तक के समस्त एलटीई/5जी-एनआर बैंड्स को कवर करेंगे।
- मिश्रित मल्टी-स्टेंडर्ड सिस्टम ऑन चिप (एसओसी) लो-कॉस्ट इंडोर स्माल सेल्ज से हाई परफार्मेंस वायरलेस बेस स्टेशनों तक व्यापक रेंज वाले फॉर्म फैक्टर्स के लिए एक बेस स्टेशन चिपसेट के रूप में सेवाएं प्रदान कर सकता है।
- इसके आलावा ये भारत की अपनी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली, एनएवीआईसी का उपयोग करके पोज़ीशनिंग का भी समर्थन करते हैं।
वर्तमान में केवल 8 कंपनियां और कुछ ही देश सेमिकंडक्टर चिप्स का निर्माण कर सकते हैं और ऐसे में स्वदेशी तकनीक से निर्मित चिप का जारी होना सही अर्थ में विश्व के लिए मेक इन इंडिया है। यह अग्रगामी कार्य उत्सर्जन की शिकायतों और पर्यावरण की बढ़ती चिंताओं के आलोक में बिल्कुल नई संरचना का मार्ग प्रशस्त करेगा।