सब-सोनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र् ‘निर्भय’ का सफल परीक्षण
भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश में विकसित लम्बी दूरी तक मार करने वाले सब-सोनिक क्रूज़ प्रक्षेपास्त्र ‘निर्भय’ का 15 अप्रैल, 2019 को चांदीपुर ओडिशा स्थित परीक्षण स्थल से सफल परीक्षण किया। यह छठा विकास उड़ान परीक्षण है।
इस मिसाइल ने काफी कम ऊंचाई पर क्रूज़ की जहाज़ रोधी मिसाइल तकनीक का प्रदर्शन किया। मिसाइल को लम्बवत छोड़ा गया और इसके बाद वह क्षितिज के समांतर दिशा में बढ़ गया, उसका बूस्टर अलग हो गया, पंख असरदार तरीके से काम करने लगे, इंजन चालू हो गया और उसने सभी नियत दिशाओं में भ्रमण किया। डीआरडीओ के अनुसार मिशन के सभी उद्देश्य पूरे कर लिए गए।
‘निर्भय’ मिसाइल की ख़ास बातें:
- यह मिसाइल 300 किग्रा. तक के परमाणु वारहेड को ले जाने में सक्षम है।
- अधिकतम 1500 किग्रा. वज़नी इस मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किमी. तक है।
- इस मिसाइल में एडवांस सिस्टम लेबोरेटरी द्वारा विकसित ठोस रॉकेट मोटर बूस्टर का प्रयोग किया गया है जिससे मिसाइल को ईंधन मिलता है।
- यह मिसाइल 0.6 से लेकर 0.7 मैक की गति से उड़ सकती है।
- क्षमता में यह मिसाइल अमेरिका के प्रसिद्ध टॉमहॉक मिसाइल के बराबर है
- निर्भय मिसाइल दो चऱण वाली, छह मीटर लंबी और 0.52 मीटर चौड़ी है।
- समूची उड़ान पर इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रेकिंग प्रणालियों, रेडारों और जमीनी टेलीमेट्री प्रणालियों से पूरी नज़र रखी गई। इन्हें पूरे समुद्र तट पर तैनात किया गया था।
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विदित हो कि डीआरडीओ द्वारा इस मिसाइल को स्वदेश में विकसित करने का कारण मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) समझौता भी है जिसके तहत इतनी लंबी दूरी तक कोई दूसरा देश तकनीक साझा नहीं कर सकता है। ध्यातव्य है कि इसी समझौते के कारण भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर तक ही रखी गई।
दरअसल, मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) एक अंतर्राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण समझौता है जिसके अंतर्गत 300 किमी. और 500 किग्रा. तक के वॉरहेड को ले जाने वाले उपकरण बनाने हेतु कोई एक देश दूसरे देश की तकनीकी सहायता नहीं कर सकता है। वर्ष 1987 में जी-7 सदस्य देशों द्वारा इस समझौते को स्थापित किया गया था। भारत वर्ष 2016 में इस समूह का सदस्य बना।
क्रूज मिसाइल निर्भय का परीक्षण सफल, टॉमहॉक मिसाइल के बराबर क्षमता: आज तक