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खराब हो चुके डिवाइसों के कारण हर 10 में से 7 भारतीयों का डेटा ख़तरे में: रिपोर्ट

पुराने या ख़राब मोबाइल व अन्य कोई संग्रहण उपकरण (स्टोरेज डिवाइसेस) बदलने पर भारत में दस में से सात लोगों को डेटा चोरी का खतरा और निजता को लेकर चिंता बनी रहती है। यह जानकारी डेटा की सुरक्षा मामले की विशेषज्ञ कंपनी स्टेलर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, ख़राब या पुराने या हो चुके डिवाइस जैसे मोबाइल या कंप्यूटर में मौजूद डेटा गलत हाथों में जाने के कारण हर 10 में से 7 भारतीयों के डेटा को ख़तरा हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक़, इससे पहचान की चोरी, वित्तीय धोखाधड़ी, व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा और निजता को लेकर जानकारियां लीक होने से समस्या पैदा हो सकती है। इससे साइबर क्राइम में बहुत ज़्यादा बढ़ोतरी होने का ख़तरा है। इससे पहचान की चोरी, फाइनेंशियल फ्रॉड और निजी सुरक्षा संबंधी ख़तरे हो सकते हैं।

मुख्य बिंदु:

  • यह रिपोर्ट इस्तेमाल की जा चुकी 300 डिवाइसों पर अध्ययन करने के बाद तैयार की गई है जिनमें हार्ड ड्राइव, मेमोरी कार्ड, मोबाइल फोन शामिल थे।
  • ये डिवाइस लोगों से, ऑनलाइन पोर्टल से और कई स्थानों पर रि-सेलरों से हासिल किए गए थे।
  • अध्ययन में पाया गया कि 71 फ़ीसदी सेकेंड हैंड डिवाइसों में पर्सनल डेटा मौजूद था।
  • डेटा चोरी से कारोबार को ख़तरा पैदा हो सकता है और वित्तीय रिपोर्ट, व्यापारिक समझौते, बौद्धिक संपदा, कारोबारी सूचना और किसी के नाम से जुड़ी व्यापारिक गोपनीयता जैसी महत्वपूर्ण सूचनाओं का दुरुपयोग हो सकता है।
  • रिपोर्ट में पुराने डिवाइस बेचते समय डेटा को मिटाने की सुरक्षित विधि का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

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