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उन्नत प्रौद्योगिकियों के संयुक्त अनुसंधान हेतु भारतीय नौसेना और सीएसआईआर के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए

भारतीय नौसेना के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के संयुक्त अनुसंधान और विकास कार्य करने हेतु भारतीय नौसेना और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के बीच 05 अप्रैल, 2019 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं, भारतीय नौसेना और भारतीय उद्योग के बीच सहयोगात्मक व्यवस्था होगी।

इस कार्यक्रम में सात सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के निदेशक, भारतीय नौसेना के फ्लैग ऑफिसर और निदेशालयों के प्रमुख तथ प्रतिष्ठित सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के प्रख्यात वैज्ञानिक उपस्थित थे।

मुख्य बिंदु:

  • यह एमओयू भारतीय नौसेना और सीएसआईआर के बीच बातचीत के लिए एक औपचारिक ढांचा है।
  • एमओयू से भविष्य में नई तकनीकों के विकास और विचारों के आदान-प्रदान के लिए आधार तैयार होगा।
  • इस समझौते से मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, संचार, कंप्यूटर विज्ञान, प्रोपल्‍शन सिस्‍टम, मेटालर्जी और नैनोटेक्‍नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान और विकास गतिविधियों की सुविधा उपलब्‍ध होगी।
  • एमओयू के तहत तत्‍काल शुरू की जाने वाली कुछ परियोजनाओं में अल्‍टरनेटिव डिसेलिनेशन टेक्‍नोलॉजी विकसित करना, रिमोट संचालन के लिए वायरलेस एमईएमएस आधारित सेंसर की स्थापना, विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए गैस टर्बाइन जनरेटर ब्लेड के रेसीडूएल लाइफ असेसमेंट का अध्ययन शामिल हैं।
  • इस एमओयू पर पीवीएसएम, एवीएसएम, भारतीय नौसेना में वीएसएम चीफ ऑफ मैटरियल और वाइस एडमिरल जी एस पब्बी तथा सचिव, डीएसआईआर और महानिदेशक, सीएसआईआर शेखर सी मांडे ने हस्ताक्षर किए।
  • इस अवसर पर वाइस एडमिरल जी एस पब्‍बी ने सीएसआईआर को वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए बधाई दी और विकसित की जा रही कुछ भविष्‍य की तकनीक का उल्लेख किया।

शेखर सी मांडे ने संयुक्त प्रयासों की सराहना करते हुए बल दिया कि सीएसआईआर के लिए रक्षा हमेशा प्राथमिकता का क्षेत्र है, जिसका उद्देश्‍य उन्नत तकनीकों में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता हासिल करना है।

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