ताइवान समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला पहला एशियाई देश बना
रूढ़िवादी सांसदों के विरोध के बावजूद ताइवान की संसद ने 17 मई, 2019 को समलैंगिक विवाह (Same-Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने वाले बिल को मंज़ूरी दे दी। इसके साथ ही ताइवान समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी देने वाला पहला एशियाई देश बन गया है। समलैंगिक विवाह को मंज़ूरी देने वाला यह कानून 24 मई, 2019 से प्रभावी होगा।
यह फैसला देश के समलैंगिक समुदाय के लोगों की जीत है, जो वर्षों से समान वैवाहिक अधिकारों हेतु मुहिम चला रहे थे। ताइवान में समलैंगिक जोड़े अब सरकारी एजेंसियों में शादी का पंजीकरण करवा सकेंगे।
ध्यातव्य है कि समलैंगिक विवाह को वैधता देने वाला पहला देश नीदरलैंड (2001 में) है। नीदरलैंड को साल 2001 में कानूनी मान्यता प्राप्त हुई. समलैंगिक विवाह को नीदरलैंड के अलावा अब तक बेल्जियम, स्पेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में मान्यता डी जा चुकी है।
मुख्य बिंदु:
- ताइवान की संसद में समलैंगिक विवाह को लेकर यह वोटिंग यहां की संवैधानिक कोर्ट के उस आदेश के दो साल बाद हुई है, जिसमें अदालत ने विवाह से संबंधित मौजूदा कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
- यह कानून एक महिला और पुरुष के बीच शादी को ही वैधानिक मानता था।
- द्वीपीय देश के सांसदों ने एक विधेयक को मंजूरी दे दी जिससे समलैंगिक जोड़ों को ‘विशिष्ट स्थायी संघ’ बनाने और सरकारी एजेंसियों में ‘विवाह के लिए पंजीकरण’ कराने की अनुमति दी।
- इस मुद्दे को लेकर देश में काफी बहस हुई थी और यह दो भागों में बंट गया था।
- समाचार एजेंसी अलजज़ीरा ने बताया कि ताइवान के सांसदों ने समान लिंग वाले जोड़ों को ‘निवारक स्थायी संघ’ (Exclusive Permanent Unions) बनाने और सरकारी एजेंसियों में मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन देने की इजाज़त देने वाला कानून पारित किया।
- समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने वाला यह कानून 24 मई, 2019 से प्रभावी होगा।
विधेयक का विरोध:
अधिकांश रूढ़िवादी सोच वाले सांसदों द्वारा इस विधेयक का विरोध किया गया और इस बिल के विरोध में मुहिम भी चलाई गई। यहाँ विवाह का समान हक देने के इस मुद्दे पर लोगों की राय बंटी हुई थी। बावजूद इसके ताइपे की संसद में मतदान के दौरान भारी बारिश के बीच हज़ारों की संख्या में एलजीबीटी समुदाय के लोग जमा हुए थे। इंटरनेशनल डे एगेंस्ट होमोफोबिया, ट्रांसफोबिया और बाइफोबिया के दिन हुए इस मतदान के पक्ष में 66 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में केवल 27 वोट पड़े।
शीर्ष अदालत का फ़ैसला:
इस मामले में 14 वरिष्ठ न्यायाधीशों का एक पैनल बनाया गया था जिन्होंने इस पर चर्चा की कि ताइवान का मौजूदा कानून संवैधानिक है या नहीं। ताइवान की शीर्ष अदालत ने कहा था कि एक ही लिंग के जोड़ों को शादी करने की अनुमति ना देना संविधान का उल्लंघन होगा। ताइवान के जजों ने अपने इस आदेश के तहत संसद को इस संबंध में नया कानून बनाने या मौजूदा कानून में ही संशोधन हेतु दो साल का समय दिया था।
ताइवान में समलैंगिक समुदाय:
ताइवान में बड़ी संख्या में समलैंगिक समुदाय के लोग रहते हैं। यहां होने वाली वार्षिक ‘गे प्राइड परेड’ (Gay Pride Parade) एशिया में सबसे बड़ी परेड होती है। यह फैसला ताइवान के एलजीबीटी समुदाय के लिए बड़ी जीत है जिन्होंने अलग-अलग लिंग के दंपत्तियों की तरह ही समान विवाह अधिकारों के लिए वर्षों तक संघर्ष किया।
ग़ौरतलब है कि ताइवान में लैंगिक असमानता को तोड़ने और वैवाहिक समानता ( same gender marriage) के लिए लम्बे अर्से से अभियान चलाये जा रहे थे जिसके तहत पुरुष स्कर्ट पहनकर स्कूल, कॉलेज और दफ्तर पहुंच रहे थे। सोशल मीडिया पर स्कर्ट पहने पुरुषों की तस्वीरें भी शेयर की जा रही थीं। सेम जेंडर मैरिज बिल के पक्ष में समर्थन देने के लिए इस अभियान में महिलाएं और छात्राएं भी समर्थन दे रही थीं।