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भारत में नहीं दिखा 2019 का पहला चन्द्र ग्रहण, ‘सुपर ब्लड वुल्फ मून’

साल 2019 का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी, 2019 को हुआ। यद्यपि यह भारत में दिखाई नहीं दिया किन्तु यूरोप, अमेरिका, हिन्द महासागर व मध्य एशिया के कई देशों में यह घटना दिखाई दी। इस ग्रहण को “सुपर ब्लड वुल्फ मून” की संज्ञा दी गई है। यूरोपीय देश बेल्जियम में “सुपर ब्लड वुल्फ मून” देखा गया।

इस ग्रहण के वक़्त चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले धरती के सबसे करीब होता है। इसे खुली आंखों से देखा जा सकता है। “सुपर ब्लड वुल्फ मून” के दौरान चंद्रमा 30% ज़्यादा चमकीला और 14% बड़ा दिखाई दिया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने इस घटना को ‘मोस्ट डैज्ज़लिंग शो’ यानी सबसे चमकदार शो कहा।

मुख्य तथ्य:

• ये ग्रहण 3 घंटे, 17 मिनट तक चला।

• यूरोप, अमेरिका, हिन्द महासागर व मध्य एशिया के कई देशों में यह घटना दिखाई दी।

• चंद्रमा 30% ज़्यादा चमकीला और 14% बड़ा दिखाई दिया।

• इसमें चन्द्रमा पृथ्वी के 42 हज़ार किमी क़रीब आया।

• इस दौरान पूरा आकाश लाल रंग से चमक उठा।

• यह चन्द्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया।

• अन्य दिनों में चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी 4,05,000 किमी होती है जबकि “सुपर ब्लड वुल्फ मून” के समय यह दूरी घटकर 3,63,000 किमी. रह गयी थी।

• ऐसी घटना ढाई वर्ष में एक बार होती है।

• अगला पूर्ण चन्द्र ग्रहण मई 2021 में दिखाई देगा।

अमेरिकी जनजातियों ने दिया “ब्लड वुल्फ मून” नाम

इस तरह के चन्द्र ग्रहण को ये अजीब नाम अमेरिकी जनजातियों द्वारा दिया गया था। उनका मानना था कि भोजन की तलाश में रात को जब भेड़िये निकलते हैं तो वे इस प्रकार के लाल चांद को देख कर ज़ोर- ज़ोर से चिल्लाते हैं। इसी वजह से उनके द्वारा इस ग्रहण को ‘वुल्फ मून’ नाम दिया गया होगा जोकि बाद में “सुपर ब्लड वुल्फ मून” बन गया।

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