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मई 2019 के अंत में लॉन्च करेगा इसरो रडार इमेजिंग सैटेलाइट ‘रिसैट- 2बीआर1’

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) ने अपने रडार इमेजिंग सैटेलाइट “RISAT 2BR1” को मई 2019 के अंत तक लॉन्च करने की घोषणा की है। यह उपग्रह PSLV-C46 द्वारा लॉन्च किया जाएगा। ग़ौरतलब है कि पहले इस सैटेलाइट को वर्ष 2020 में RISAT-2A के बाद लॉन्च करने की योजना थी।

मुख्य बिंदु

  • इस उपग्रह को PSLV-C46 द्वारा आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा।
  • पीएसएलवी-C46, पीएसएलवी रॉकेट का रीयूज़ेबल संस्करण है।
  • रिसैट उपग्रह पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह है। यह उपग्रह निगरानी के लिए सिंथेटिक अपर्चर रडार (Synthetic-Aperture Radar-SAR) का उपयोग करते हैं।
  • रिसैट-2बीआर1 पिछले रिसैट-सीरीज उपग्रह की तुलना में अधिक उन्नत है।
  • दिन और रात में काम कर करने में सक्षम यह उपग्रह सभी प्रकार के मौसम में अपना कार्य कर सकते हैं। इसके द्वारा ख़राब मौसम में भी निगरानी की जा सकती है।
  • यह रडार बादलों के होने पर भी काम कर सकता है, और इसे 1 मीटर के रिजॉल्यूशन तक ज़ूम किया जा सकता है।
  • इसके अलावा सीमा पर घुसपैठ पर नज़र बनाये रखने के लिए भी यह उपग्रह सेना के लिए काफी उपयोगी है।
  • इसरो के मुताबिक़, रीसैट सैटेलाइट धरती पर मौजूद किसी बल्डिंग या फिर किसी अन्य चीज की दिन में दो से तीन बार तस्वीर ले सकता है।



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विदित हो कि रीसैट श्रृंखला के तहत 20 अप्रैल, 2009 को रीसैट -2 को कक्षा में स्थापित किया गया था। इसके बाद 26 अप्रैल, 2012 को रीसैट -1 को लॉन्च किया गया। यह PSLV-C19 द्वारा 536 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया था। यह उपग्रह पांच वर्ष के लिए प्रक्षेपित किया गया था। पुरानी रीसैट सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों का 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक में इस्तेमाल किया गया था।



भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO):
भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है। इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। इसरो राष्‍ट्र के लिए उपयोग विशिष्‍ट उपग्रह उत्‍पाद एवं उपकरणों का विकास कर, प्रदान करता है।

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