सरकार ने IIT दिल्ली के साथ सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए MoU हस्ताक्षरित किया
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में देश में कूड़े के प्रबंधन में भारत सरकार ने 02 मई, 2019 को आईआईटी (IIT) दिल्ली के साथ मिलकर वेस्ट टू वेल्थ टेक्नोलॉजी (Waste to Wealth Technology) के लिए सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए एक समझौता किया है। इस परियोजना का उद्देश्य कूड़े से विभिन्न तरह की ऊर्जा उत्पन्न कर भारत को कूड़ा मुक्त राष्ट्र बनाना है।
सहमति पत्र पर केन्द्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन और आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. वी. रामगोपाल राव ने नई दिल्ली में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने के लिए हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
इस योजना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों, उद्योगों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और अन्य एजेंसियों के पास उपलब्ध तकनीक का प्रयोग कर पायलट परियोजनाओं की स्थापना कर भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप प्रौद्योगिकी का सर्वश्रेष्ठ प्रयोग करना है। इसके फलस्वरूप ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य होगा और स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणाम नहीं होंगे। इस कार्यक्रम के तहत आईआईटी दिल्ली में वेस्ट टू वेल्थ कार्यक्रम प्रबंधन केन्द्र की स्थापना की जाएगी।
मुख्य बिंदु:
- इसका उद्देश्य वैज्ञानिक व तकनीकी समाधानों के द्वारा कचरा प्रबंधन के लिए वेस्ट टू वेल्थ रूपांतरण को बढ़ावा देना है।
- सभी वेस्ट टू वेल्थ प्रौद्योगिकी का एक साथ प्रयोग कर और दुनियाभर की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों का अध्ययन कर इसको भारतीय शहरों में क्रियान्वित किया जायेगा।
- वेस्ट टू वेल्थ मिशन प्रोजेक्ट (Waste to Wealth Mission Project) को हाल ही में गठित प्रधानमंत्री की विज्ञान तकनीक तथा नवोन्मेष सलाहकार परिषद् (PM-STIAC) ने मंज़ूरी दी थी।
- यह संस्था देश में वैज्ञानिक व तकनीकी समाधान के मूल्यांकन व क्रियान्वयन के लिए कार्य करती है।
- PM-STIAC ने प्रमुख वैज्ञानिक चुनौतियों के लिए नौ राष्ट्रीय मिशनों को चिन्हित किया है। ‘वेस्ट टू वेल्थ’ भी इन्ही नौ मिशनों में से एक है।
- इन नौ मिशनों के द्वारा जटिल समस्याओं का समाधान किया जाएगा तथा धारित विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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