यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुई 16 हज़ार करोड़ रु. की वैल्यू वाली “बिग बास्केट”
मार्च के अंतिम सप्ताह में दो भारतीय स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई हैं। इसके तहत ऑनलाइन किराना सामान डिलीवर करने वाली कंपनी “बिग बास्केट” यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई है। हाल ही में इस भारतीय स्टार्टअप की वैल्यू 16,000 करोड़ रु. हो गई है। इससे पूर्व 25 मार्च, 2019 को डेल्हीवरी ने 2,900 करोड़ रुपए जुटाने की घोषणा की थी। इसके बाद कंपनी का वैल्यूएशन क़रीब 10,500 करोड़ रुपए आंका गया था।
इसके बाद 29 मार्च, 2019 को बिग बास्केट में 15 करोड़ डॉलर (लगभग 1 हज़ार करोड़ रुपए) निवेश की ख़बर आई जिसके पश्चात् इसकी वैल्यू 228 करोड़ डॉलर (16 हज़ार करोड़ रुपए) आंकी गई। बिग बास्केट में नए राउंड में दक्षिण कोरिया की मिराय एसेट ने 6 करोड़ डॉलर (415 करोड़ रुपए), चाइनीज़ कंपनी अलीबाबा ने 5 करोड़ डॉलर (346 करोड़ रुपए) और ब्रिटिश सरकार से संबंधित सीडीसी ग्रुप ने 4 करोड़ डॉलर (276 करोड़ रुपए) निवेश किये हैं। हेलियन वेंचर्स पार्टनर्स, बेसेमर वेंचर पार्टनर्स और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्प को भी कंपनी अपना निवेशक बताती है।
क्या है यूनिकॉर्न क्लब?
यूनिकॉर्न क्लब में उन कंपनियों को शामिल किया जाता है जिनका मार्केट वैल्यूएशन कम-से-कम 100 करोड़ डॉलर (7 हज़ार करोड़ रुपए) का हो। वर्ष 2018 में सबसे ज़्यादा 10 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, जिनमें बिल डेस्क, बायजूज़, फ्रेशवर्क्स, ओयो रूम्स, पेटीएम मॉल, पाइन लैब्स, पॉलिसी बाज़ार, स्विगी, उड़ान और ज़ोमैटो शामिल हैं।
“बिग बास्केट”:
इसकी स्थापना वर्ष 2011 में हरि मेनन, वीएस सुधाकर, विपुर पारेख, अभिनय चौधरी और वीएस रमेश ने मिलकर की थी। वर्तमान में यह देश के 32 शहरों में किराना सामान डिलीवर करती है। इस क्षेत्र में यह भारत की सबसे बड़ी कंपनी है। फरवरी 2018 में फंडिंग के दौरान बिग बास्केट की कीमत 6,600 करोड़ रु. आंकी गई थी। साल भर में इसकी वैलुएशन 140 फ़ीसदी बढ़ी है। जबकि गत वर्ष कंपनी ने सेल्स में दो हज़ार करोड़ रुपए का आंकड़ा छुआ था। साल 2019 में यह लक्ष्य 3,500 करोड़ रुपए का है।
डेल्हीवरी (Delhivery):
Delhivery एक थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक सेवा प्रदाता कंपनी है। । वर्ष 2011 में साहिल बरुआ, मोहित टंडन, भावेश मंगलानी, सूरज सहारन और कपिल भारती ने मिलकर इसकी शुरुआत की थी। इसका मुख्यालय गुरुग्राम में स्थित है। वर्तमान में यह कंपनी देश के 1,200 से अधिक शहरों में काम कर रही है। यह टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, मल्टिपल्स, कार्लाइल ग्रुप, फोसुन ग्रुप, नेक्सस वेंचर पार्टनर्स के फंडिंग से समर्थित है।
अन्य स्टार्टअप्स:
हाल ही में ऑनलाइन किराना डिलीवर करने वाली भारतीय कंपनी ग्रोफर्स (Grofers) में जापानी कंपनी सॉफ्टबैंक ने 60 करोड़ डॉलर (415 करोड़ रुपए) का निवेश किया है। इसके आलावा अमेज़न और फ्लिपकार्ट भी अपने किराना सेगमेंट को बढ़ाकर दोगुना कर रही हैं। जिसके चलते आने वाले समय में इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ जाएगी।
ऑनलाइन किराना डिलीवरी बाज़ार:
क्रिसिल के अनुसार, इस वर्ष भारत के ऑनलाइन किराना बाज़ार में 65-70 फ़ीसदी की सालाना बढ़ोतरी होने के साथ इस इस बाज़ार की वैल्यू 18,000 करोड़ रुपए की हो सकती है। भारत की पूरी रिटेल इंडस्ट्री 30-33 फ़ीसदी सालाना की दर से बढ़ रही है।

