संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने विश्व जनसंख्या-2019 जारी की
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफ़पीए) ने हाल ही में स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पॉपुलेशन-2019 रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या 1.2 की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 1.36 अरब हो गई है, जोकि चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दोगुनी से अधिक है। जबकि विश्व की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 771.5 करोड़ हो गई है, जो पिछले साल 763.3 करोड़ थी।
रिपोर्ट से संबंधित मुख्य बिंदु:
- रिपोर्ट के मुताबिक़, वैश्विक जनसंख्या 72 वर्ष की औसत जीवन प्रत्याशा के साथ वर्ष 2018 के 7.633 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2019 में 7.715 बिलियन हो गई।
- 2019 में चीन की आबादी 1.42 अरब पहुंच गई है, जो 1994 में 1.23 अरब और 1969 में 80.36 करोड़ थी। 2010 और 2019 के बीच चीन की आबादी 0.5 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है।
- वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी में होने वाली समग्र वृद्धि में सर्वाधिक भागीदारी उच्च प्रजननशीलता वाले अफ्रीकी देशों में या बड़ी आबादी वाले देशों जैसे- नाइजीरिया एवं भारत में होने का अनुमान है।
- सबसे कम विकसित देशों में सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई, अफ्रीकी देशों में एक वर्ष में औसतन 2.7% वृद्धि दर्ज की गई।
- रिपोर्ट में पहली बार तीन प्रमुख क्षेत्रों (अपने साथी के साथ संभोग करने की क्षमता, गर्भनिरोधक का उपयोग करना तथा स्वास्थ्य देखभाल) में निर्णय लेने की महिलाओं की क्षमता पर 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के परिणाम घोषित किये गए हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिस्थापन प्रजनन दर अधिकतर देशों में प्रति महिला लगभग 2.1 बच्चे है, यद्यपि यह मृत्यु दर के साथ भिन्न हो सकती है।
- महिलाओं और लड़कियों के संघर्ष एवं जलवायु आपदाओं के कारण होने वाली आपात स्थितियों से उत्पन्न प्रजनन अधिकारों के ख़तरे पर भी रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है।
भारत के सन्दर्भ में:
- रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 और 2019 के बीच भारत की जनसंख्या में 1.2 फ़ीसदी प्रति वर्ष की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में वैश्विक वृद्धि का औसत 1.1 फ़ीसदी प्रति वर्ष रहा है।
- भारत की जनसंख्या वर्ष 2019 तक 1.36 बिलियन तक होने की संभावना है जोकि वर्ष 1994 में 942.2 मिलियन तथा वर्ष 1969 में 541.5 मिलियन थी।
- 1969 में भारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 47 वर्ष थी, जोकि 1994 में 60 वर्ष और 2019 में बढ़कर 69 वर्ष हो गई है।
- भारत की 27 फ़ीसदी आबादी 0-14 वर्ष और 10-24 वर्ष की आयु वर्ग में, जबकि देश की 67 फ़ीसदी आबादी 15-64 आयु वर्ग की है। 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी का हिस्सा देश में 6 फ़ीसदी है।
- देश में प्रति महिला कुल प्रजनन दर वर्ष 1969 के 5.6 से घटकर वर्ष 1994 में 3.7 हो गई। वर्ष 2019 में यह घटकर 2.3 हो गई है।
- भारत के 24 राज्यों में रहने वाली भारत की लगभग आधी आबादी में प्रति महिला 2.1 बच्चों की प्रतिस्थापन प्रजनन दर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जल्दी विवाह हो जाना भी महिला सशक्तीकरण और बेहतर प्रजनन अधिकारों के संबंध में एक बाधा है। साथ ही प्रजनन और यौन अधिकारों की अनुपस्थिति का महिलाओं की शिक्षा, आय एवं सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे वे अपना स्वयं का भविष्य निर्माण करने में असमर्थ हो जाती है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund-UNFPA):
विदित हो कि यूएनएफ़पीए संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक सहायक अंग है। वर्ष 1967 में ट्रस्ट फंड के रूप में स्थापित यूएनएफ़पीए का परिचालन वर्ष 1969 में शुरू हुआ था जबकि वर्ष 1987 में इसे आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष नाम दिया गया।