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Jharkhand 25th Foundation Day: झारखंड का 25वाँ स्थापना दिवस, बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि

Jharkhand Foundation Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड राज्य के 25वें स्थापना दिवस पर लोगों को बधाई देते हुए राज्य के Vibrant tribal culture  की सराहना की, साथ ही उन्होंने बिरसा मुंडा को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

Jharkhand 25th Foundation Day: 15 नवंबर को झारखंड का 25वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य के लोगों को इस दिवस पर बधाई दी और राज्य के ibrant tribal culture की सराहना करते हुए आदिवासी अधिकार नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसे पूरे देश में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने बिरसा मुंडा की विरासत को याद करते हुए कहा कि इस भूमि का इतिहास साहस, संघर्ष और गरिमा की प्रेरक कहानियों से भरा पड़ा है।

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इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने राज्य के सभी लोगों की निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं भी दीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर, पूरा देश मातृभूमि के सम्मान की रक्षा में देश के इस महान स्वतंत्रता सेनानी के अद्वितीय योगदान को श्रद्धापूर्वक याद करता है।

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15 नवंबर को मनाया जाने वाला राज्य का स्थापना दिवस बिरसा मुंडा की जयंती के साथ भी मेल खाता है।

ग़ौरतलब है कि 15 नवंबर को झारखंड में जनजातीय गौरव दिवस भी मनाया जाता है। यह दिवस बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

झारखंड वर्ष 2000 में आधिकारिक तौर पर बिहार के दक्षिणी भाग से अलग होकर भारत का 28वाँ राज्य बना था। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाए जाने वाले साल भर के समारोह का भी आज समापन हो रहा है।

इस दिन को चिह्नित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें देश की आदिवासी विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन में इस महान नेता के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला गया। वर्तमान झारखंड में साल 1875 में जन्मे बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद की थी। उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया। उन्हें आदिवासियों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संगठित करने का श्रेय दिया जाता है। 25 वर्ष की अल्पायु में ही ब्रिटिश हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई। आदिवासी अधिकारों और स्वशासन के लिए उनके संघर्ष ने उन्हें स्वदेशी समुदायों के प्रतिरोध और सशक्तिकरण का प्रतीक बना दिया।

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