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हिंदी के प्रख्यात लेखक हिमांशु जोशी का 83 वर्ष की आयु में निधन

प्रसिद्ध हिंदी कथाकार व पत्रकार हिमांशु जोशी का 23 नवंबर, 2018 को 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया| वे लंबे समय से बीमार थे| हिमांशु जोशी को हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान था| इन्होंने कई कहानी संग्रह, कविता संग्रह तथा आंचलिक कहानियां लिखी हैं|

उत्तराखंड के रहने वाले हिमांशु जोशी ने हिंदी साहित्य में अनेक प्रसिद्ध रचनाएं लिखी हैं| ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’ आदि इनके प्रमुख उपन्यास हैं|

इनके अनेक उपन्यासों तथा कहानियों का उर्दू, पंजाबी, डोगरी, गुजराती, मराठी, कोंकणी, तमिल तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, बांगला, असमी के अलावा अंग्रेज़ी, नेपाली, बर्मी, चीनी, जापानी इताल्वी, बल्गेरियाई, कोरियाई, नॉर्वेजियन, स्लाव, चेक आदि भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है|

हिमांशु जोशी का संक्षिप्त जीवन परिचय:

  • हिमांशु जोशी का जन्म 4 मई, 1935 में उत्तराखंड के खेतीखान के जोस्यूड़ा नामक गांव में हुआ था|
  • 8वीं तक की शिक्षा इन्होंने खेतीखान के वर्नाकुलर हाईस्कूल से प्राप्त की|
  • हिमांशु जोशी द्वारा लिखित कई प्रमुख उपन्यास अब तक प्रकाशित हो चुके हैं, जैसे- ‘अरण्य’, ‘महासागर’, ‘छाया मत छूना मन’, ‘कगार की आग’, ‘समय साक्षी है’, ‘तुम्हारे लिए’ आदि|
  • इसके अतिरिक्त इनके कई कविता संग्रह, यात्रा वृत्तांत, कहानी संग्रह तथा वैचारिक संस्मरण भी छप चुके हैं| ‘अग्नि-सम्भव’, ‘नील नदी का वृक्ष’, ‘एक आँख की कविता’, में उनकी कविताओं के संकलन हैं|
  • इनके द्वारा लिखित कहानियों में ‘अंतत:’, ‘मनुष्य चिन्ह’, ‘जलते हुए डैने’, ‘तपस्या’, ‘गंधर्व कथा’, ‘श्रेष्ठ प्रेम कहानियां’, ‘इस बार फिर बर्फ गिरी तो’, ‘नंगे पांवों के निशान’, ‘दस कहानियां’ प्रमुख हैं|
  • इनकी रचनाओं में ‘छाया मत छूना मन’, ‘मनुष्य चिह्न’, ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियां’तथा ‘गंधर्व-गाथा’को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार एवं ‘हिमांशु जोशी की कहानियां’व ‘भारत रत्न: पं. गोबिन्द बल्लभ पन्त’को हिन्दी अकादमी, दिल्ली सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है|
  • इनकी कृति ‘तीन तारे’ बिहार के राजभाषा विभाग द्वारा पुरस्कृत की जा चुकी है|

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