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अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी की मदद से चुकाए एरिक्सन के 550 करोड़ रुपये

रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के मालिक अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी द्वारा वित्तीय सहायता दिए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय की डेडलाइन पूरी होने के एक दिन पहले ही “एरिक्सन” कंपनी का बकाया चुका दिया। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक अनिल को 19 मार्च, 2019 तक एरिक्सन का बकाया चुकाना था अन्यथा उन्हें कोर्ट की मानहानि के मामले में जेल जाना पड़ता।

इस मामले में अनिल अंबानी के साथ-साथ आरकॉम की दो इकाइयों के चेयरमैन छाया विरानी और सतीश सेठ पर भी जेल जाने का ख़तरा मंडरा रहा था। आरकॉम ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए एरिक्‍सन को 550 करोड़ रुपये और इस पर ब्‍याज़ का भुगतान कर दिया है। इससे पहले आरकॉम ने 460 करोड़ रुपए की अंतिम किस्‍त का भुगतान कर दिया है। आरकॉम ने इससे पहले 118 करोड़ रुपए का भुगतान किया था।

एरिक्सन बनाम आरकॉम मामला:

यह मामला अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली आरकॉम पर दूरसंचार उपकरण निर्माता स्वीडिश कंपनी एरिक्सन के करीब 550 करोड़ रुपये के बकाया का निपटारा करने से जुड़ा है। दोनों के बीच 2017 में कानूनी जंग तब शुरू हुई जब एरिक्‍सन ने दिवालिया अदालत में आरकॉम पर आरोप लगाया कि वर्ष 2013 में आरकॉम के नेटवर्क की देखरेख को लेकर हुए सात वर्ष के सौदे के तहत उसे 1500 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। तत्पश्चात, मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्‍यूनल से नेशनल कंपनी लॉ अपीलैट ट्रिब्‍यूनल में चला गया और यहां पर दोनों कंपनियों के बीच 30 सितंबर, 2018 तक 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने की सहमति बनी। उपरोक्त तिथि तक आरकॉम की ओर से भुगतान नहीं किये जाने पर एरिक्‍सन ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाली। न्यायालय की ओर से आरकॉम को 15 दिसंबर, 2018 तक भुगतान करने को कहा गया किन्तु इस तिथि तक भी भुगतान नहीं नहीं होने पर एरिक्‍सन ने अनिल अंबानी और उनकी दो यूनिट्स के विरुद्ध अवमानना की याचिका दाख़िल की।

फरवरी 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने अनिल अंबानी को फटकार लगाते हुए और कहा कि 19 मार्च, 2019 तक ब्‍याज़ सहित भुगतान का आदेश दिया था। जिसके चलते अब यह भुगतान किया गया है।

विदित हो कि मुकेश अंबानी द्वारा भाई अनिल अंबानी की वित्तीय मदद करने का यह दूसरा बड़ा अवसर है। इससे पूर्व वर्ष 2018 में मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इंफोकॉम ने आरकॉम की वायरलेस सेवा को 3000 करोड़ रुपये में ख़रीदा था।

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