Odisha में 1.25 लाख छोटे किसानों हेतु World Bank 16.5 करोड़ डॉलर देगा

केंद्र सरकार और ओडिशा (Odisha) सरकार ने विश्व बैंक (World Bank) के साथ मिलकर राज्य के छोटे किसानों की उत्पादन प्रणालियों को सुदृढ़ करने के लिए 16.5 करोड़ डॉलर के एक ऋण समझौते पर 24 अक्तूबर, 2019 को हस्ताक्षर किये। यह समझौता आमदनी बढ़ाने हेतु उनकी उपज में विविधता लाने तथा बेहतर ढंग से विपणन (मार्केटिंग) में उनकी सहायता करने के उद्देश्य से किया गया है।
इस ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव समीर कुमार खरे और ओडिशा सरकार की ओर से जल संसाधन विभाग में प्रधान सचिव सुरेन्द्र कुमार तथा विश्व बैंक की ओर से कंट्री डायरेक्टर (भारत) जुनैद अहमद ने हस्ताक्षर किये।
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उद्देश्य
यह परियोजना जलवायु परिवर्तन रोधी बीजों की भिन्न-भिन्न किस्मों तथा उत्पादन तकनीकों तक छोटे किसानों की पहुंच बढ़ाकर, जलवायु परिवर्तन रोधी फसलों की ओर उऩ्हें उन्मुख कर तथा बेहतर जल प्रबंधन एवं सिंचाई परियोजनाओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित कर प्रतिकूल जलवायु से निपटने में उन्हें सक्षम बनायेगी। इससे इन किसानों की फसलों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी, जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी।
ऋण की अवधि
अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) से मिलने वाले 165 मिलियन डॉलर के ऋण के अंतर्गत छह वर्षों की अवधि है। इस ऋण की परिपक्वता अवधि 24 वर्ष है।
राज्य की 1.28 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को होगा फायदा
वित्त मंत्रालय के अनुसार, जलवायु परिवर्तन रोधी कृषि के लिए ओडिशा एकीकृत सिंचाई परियोजना को उन ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया जायेगा जहां बार-बार सूखा पड़ने का खतरा रहता है और जो काफी हद तक वर्षा आधारित कृषि पर ही निर्भर रहते हैं। इससे ओडिशा राज्य के 15 ज़िलों के लगभग 1.25 लाख छोटे किसान परिवार लाभान्वित होंगे जोकि लगभग 1.28 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में खेती करते हैं।
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ओडिशा की स्थिति
ओडिशा में अधिकतर कृषि क्षेत्र खराब मौसम की मार झेलते रहते हैं। ओडिशा में ज़्यादातर किसान ऐसे हैं जिनके पास दो हेक्टेयर से भी कम भूमि है। हाल के वर्षों में जलवायु में व्यापक परिवर्तन ने ओडिशा में कृषि को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है। वर्ष 2009 से ओडिशा में सूखा पड़ने की स्थिति गंभीर हो गई है क्योंकि पहले जहां प्रत्येक पांच सालों में सूखा पड़ता था, वहीं अब यहाँ प्रत्येक दो सालों में ही सूखा पड़ जाता है।
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