Jammu-Kashmir और Ladakh संघ राज्य क्षेत्रों वाला भारत का नया मानचित्र जारी
पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर (Jammu-Kashmir) राज्य, 31 अक्तूबर, 2019 से नए जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र तथा नए लद्दाख़ (Ladakh) संघ राज्य क्षेत्र के रूप में पुनर्गठित हो गया। इसके बाद 02 नवंबर, 2019 को दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों का मानचित्र (Map) जारी किया गया।
नए लद्दाख़ संघ राज्य क्षेत्र में कारगिल तथा लेह – दो ज़िले हैं और भूतपूर्व जम्मू और कश्मीर राज्य का बाक़ी हिस्सा नए जम्मू और कश्मीर राज्य संघ क्षेत्र में है।
केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के बाद भारत का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया है जिसके अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के मीरपुर और मुजफ्फराबाद जिलों को जम्मू और कश्मीर का हिस्सा बताया गया है। इन दोनों जिलों सहित जम्मू और कश्मीर में कुल 22 जिले होंगे।
नये मानचित्र (Map) के प्रमुख बिंदु
- दोनों नए संघ क्षेत्रों को दर्शाने वाले ये मानचित्र (Map) सर्वेअर जनरल ऑफ़ इंडिया द्वारा तैयार किये गए हैं।
- जम्मू और कश्मीर (Jammu-Kashmir) केंद्र शासित प्रदेश के मानचित्र में 22 ज़िले शामिल हैं, जिनमें मुज़फ्फराबाद और मीरपुर के क्षेत्र शामिल हैं जो पिछले नक्शे में पीओके के अधीन थे।
- कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामूला, पुंछ, बडगाम, शोपियां, कुलगाम, किश्तवाड़, उधमपुर, डोडा, सांबा, जम्मू, कठुआ, रामबन, राजौरी, अनंतनाग, पुलवामा, श्रीनगर, रियासी और गांदरबल जिले जम्मू और कश्मीर का हिस्सा होंगे।
- ग़ौरतलब है कि भारत के दो नए केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्तूबर, 2019 को विधिवत अस्तित्व में आ गये हैं।
- इसके साथ ही भारत में राज्यों की कुल संख्या 28 हो गई है और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 9 हो गई है।
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1947 से 2019 तक जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) की स्थिति
1947 में पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य में 14 जिले – कठुआ, जम्मू, ऊधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुँछ, मीरपुर, मुज़फ़्फ़राबाद, लेह और लद्दाख़, गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास और जनजातीय क्षेत्र (ट्राइबल टेरिटॉरी) थे।
2019 तक विभिन्न सरकारों द्वारा पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर के इन 14 ज़िलों को 28 ज़िलों में पुनर्गठित किया गया था। ये नए ज़िले हैं – कुपवाड़ा , बान्दीपुर, गंडेरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, शूपियान, कुलगाम, राजौरी, रामबन, डोडा, किश्तवार, साम्बा और कारगिल।
क्या आया है बदलाव?
- जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को मिले विशेष अधिकार पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे। अब राज्य में भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। अब जम्मू-कश्मीर का अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। बता दें कि कश्मीर में 17 नवंबर, 1956 को अपना संविधान लागू किया था। अब यहाँ राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- राज्यपाल का पद समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही राज्य की पुलिस केंद्र के अधिकार क्षेत्र में रहेगी।
- भारतीय संविधान की धारा 360 के तहत अब राज्य में भी वित्तीय आपातकाल भी लग सकेगा।
- जम्मू-कश्मीर में सरकारी दफ्तरों में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता था। अब जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रध्वज तिरंगा रहेगा।
- अब जम्मू-कश्मीर में दोहरी नागरिकता नहीं होगी। अनुच्छेद-370 के कारण राज्य में वोट देने और चुनाव में उम्मीदवार बन सकने का अधिकार केवल वहां के स्थायी नागरिकों को ही था। अब इस फैसले के बाद भारत का कोई भी नागरिक वहां का मतदाता और प्रत्याशी बन सकता है।
- अब राज्य का बंटवारा किया गया है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश हो गया है। कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश हो गया है। विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल होगा।
- जम्मू कश्मीर का हिस्सा रहे लद्दाख (Ladakh) को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। यहां जम्मू-कश्मीर की तरह विधानसभा नहीं होगी। इसका प्रशासन चंडीगढ़ की तरह चलाया जाएगा।
- इस अनुच्छेद के हटने के बाद अब देश का कोई भी नागरिक कश्मीर में संपत्ति ख़रीद सकेगा। अर्थात् राज्य से बाहरी अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति ख़रीद पाएगा। साथ ही देश का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में नौकरी पाने का अधिकारी होगा। अब कश्मीर की महिला को किसी अस्थायी निवासी से शादी करने पर भी उसे संपत्ति का अधिकार मिलेगा।
अगस्त में जम्मू-कश्मीर से हटा था अनुच्छेद-370 (Article-370)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त, 2019 को राज्यसभा में चार संकल्प पेश करते हुए अनुच्छेद-370 (Article-370) को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया था। अमित शाह द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसार अनुच्छेद-370 का केवल खंड-1 ही बचा रहेगा बाकी सभी खंड समाप्त हो जाएंगे। अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35A की समाप्ति के जम्मू-कश्मीर राज्य में दूरगामी परिणाम दृष्टिगोचर हो सकते हैं।
अनुच्छेद-370 के हटने से ही अनुच्छेद-35A भी हट गया है। इस ऐतिहासिक फैसले से जम्मू-कश्मीर का न सिर्फ़ भूगोल बदल गया है बल्कि अब देश की राजनीति को भी एक नया रुख मिल गया है। ध्यातव्य है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) को संविधान के अनुच्छेद-35A तथा 370 द्वारा विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस विशेष दर्जे को हटाने अथवा बनाये रखने के लिए चर्चा आरंभ की गई थी।
क्या है अनुच्छेद-370 (Article-370) और अनुच्छेद- 35A (Article-35A)?
- अनुच्छेद-370 के प्रावधानों के तहत राज्य का अपना संविधान और अलग झंडा है; संसद को जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के मामले में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। किन्तु किसी अन्य विषय पर क़ानून को लागू करवाने हेतु केन्द्र को राज्य सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
- जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति थी।
- अनुच्छेद-35A को मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा इसे संविधान में जोड़ा गया था।
- 1954 के जिस आदेश से अनुच्छेद-35A को संविधान में जोड़ा गया था, वह आदेश अनुच्छेद-370 की उपधारा (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा पारित किया गया था।
- इसी विशेष दर्जे के कारण राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) प्राप्त थी।
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