skip to Main Content

प्रधानमंत्री मोदी पर बनी बायोपिक की रिलीज़ पर चुनाव आयोग की रोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बनी बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ की रिलीज़ से एक दिन पहले 10 अप्रैल, 2019 को चुनाव आयोग ने रोक लगा दी। आयोग के मुताबिक़, चुनावों के चलने तक इस बायोपिक को रिलीज़ नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही चुनाव आयोग द्वारा इस बायोपिक सहित ऐसी किसी भी फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई गई है जिसका संबंध राजनीतिक है अथवा वह चुनाव पर असर डाल सकती है।

आयोग ने इस बायॉपिक की स्क्रीनिंग पर चुनाव आचार संहिता लागू होने का हवाला देते हुए सेक्शन 126 (1) रिप्रजेंटेटिव ऑफ द पिपल एक्ट के तहत रोक लगाई है और कहा कि चुनाव के दौरान ऐसी किसी फिल्म के प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी जा सकती है जो किसी राजनीतिक दल या राजनेता के चुनावी हितों के उद्देश्य को पूरा करती हो।

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनावों के बीच जितनी भी बायोपिक रिलीज हो रही हैं, उनके लिए एक कमेटी बनेगी और उसके रिव्यू के बाद ही ऐसी फिल्म रिलीज़ होगी।

विदित हो कि इससे पूर्व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस बायोपिक की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका को 09 अप्रैल, 2019 को ख़ारिज कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग को यह तय करना है कि फिल्म आचार संहिता का उल्लंघन कर रही है या नहीं।

क्या कहती है आचार संहिता?

आचार संहिता चुनावों की घोषणा होते ही लागू कर दी जाती है। अतः चुनाव की घोषणा के साथ ही 10 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी। आचार संहिता चुनाव समिति द्वारा बनाया गया वो दिशानिर्देश होता है जिसे सभी राजनीतिक दलों को मानना होता है। आचार संहिता लागू होते ही प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री जनता के लिए कोई घोषणा नहीं कर सकते हैं। इस दौरान राज्य में न तो कोई शिलान्यास किया जाता है न लोकार्पण और न ही भूमिपूजन किया जाता है। उम्मीदवार द्वारा इन नियमों का उल्लंघन करने पर उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सकती है, एफआईआर दर्ज हो सकती है, चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top