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फॉल आर्मीवर्म से निपटने हेतु ‘एशिया में फॉल आर्मीवर्म प्रबंधन’ पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन

फॉल आर्मीवर्म (Fall Armyworm) की बढ़ती समस्या तथा इससे संबंधित चुनौतियों को समझने व उनसे निपटने के लिए समाधान खोजने हेतु 1 से 3 मई, 2019 तक ‘एशिया में फॉल आर्मीवर्म प्रबंधन’ (Fall Army Worm management in Asia) पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में आठ देशों बांग्लादेश, म्याँमार, श्रीलंका, भारत और कुछ अन्य दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के प्रतिनिधि ‘अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान’ (International Crops Research Institute for Semi-Arid Tropics-ICRISAT) में भाग ले रहे हैं।

क्या है फॉल आर्मीवर्म (Fall Armyworm- FAW)?
फॉल आर्मीवर्म या स्पोडोप्टेरा फ्रूजाईपेर्डा (Spodoptera Frugiperda), अमेरिका के उष्ण-कटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक कीट है। अमेरिकी मूल का यह कीट विषभर के अन्य हिस्सों में भी धीरे-धीरे फैलने लगा है। यह एशियाई देशों में फसलों को काफी नुकसान पहुँचा रहा है।

मुख्य बिंदु:

  • यह कीट पहली बार 2016 में मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में पाया गया था। कुछ ही दिनों में यह क़रीब पूरे उप-सहारा अफ्रीका में तेज़ी से फैल गया।
  • वर्ष 2017 में दक्षिण अफ्रीका में इस कीट के फैलने के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ था।
  • भारत में यह कीट सबसे पहले मई 2018 में कर्नाटक में पाया गया था और तब से अब तक यह पश्चिम बंगाल तथा गुजरात तक अपनी पहुँच बना चुका है।
  • अमेरिका कई अफ्रीकी देशों में इस विनाशकारी कीट की समस्या से निपटने की दिशा में काम कर रहा है।

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कैसे काम करता है फॉल आर्मीवर्म?
यह कीट सर्वप्रथम पौधे की पत्तियों पर हमला करता है, इसके हमले के बाद पत्तियाँ ऐसी दिखाई देती हैं जैसे उन्हें कैंची से काटा गया हो। यह कीट एक बार में 900-1000 अंडे दे सकता है। इस कीड़े की पहली पसंद मक्का है। यह ज्वार, बाजरा, चावल, गन्ना, सब्जियाँ और रूई सहित 80 से अधिक पौधों की प्रजातियों को भी खा सकता है।

कैसे फैलता है फॉल आर्मीवर्म?
फॉल आर्मीवर्म नामक इस विनाशकारी कीट के प्रसार ने संभावित रूप से पूरी दुनिया की खाद्य सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया है। जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ संक्रमित और गैर-संक्रमित क्षेत्रों के बीच बढ़ता व्यापार और परिवहन फॉल आर्मीवर्म के फैलाव के कारण हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु का इस कीट के अनुकूल होना भी इसके के फैलाव का एक कारण है। यह इसे  पूरे साल भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम है। फॉल आर्मीवर्म के प्रजनन के लिये अनुकूल कारक गर्म और आर्द्र तापमान (20 से 32 डिग्री सेल्सियस के मध्य) तथा लंबे व शुष्क समयांतराल से इसके प्रजनन में तेज़ी आती है।

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