कुपोषण से कमज़ोर बच्चों के अनुपात में सालाना 2 फ़ीसदी की दर से कमी आई
देश में कुपोषण की वजह से कमज़ोर बच्चों का अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग दो फ़ीसदी कम होकर 34.70 फ़ीसदी पर आ गया है। यह तथ्य राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFH Survey) के ताज़ा सर्वेक्षण में सामने आया है।
इससे पूर्व दस वर्ष में कुपोषण में सालाना एक फ़ीसदी की दर से कमी दर्ज की गई थी। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार सरकारी मुहिम के चलते कुपोषण से बच्चों के शारीरिक विकास में रुकावट से यह कमी आई है।
यूनिसेफ एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार, महिलाओं में एनीमिया (ख़ून की कमी) जैसे अन्य मुख्य स्वास्थ्य सूचकांकों पर भी सुधार देखने को मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में एनीमिया 2015-16 के 50- 60 फ़ीसदी से घटकर 2017- 18 में 40 फ़ीसदी पर आ गई है।
सर्वेक्षण के अंतर्गत, वर्ष 2004-05 से वर्ष 2015-16 की दस वर्ष की अवधि के दौरान छह वर्ष की उम्र के कुपोषण प्रभावित ऐसे बच्चों के अनुपात में सालाना एक फ़ीसदी की दर से 10 फ़ीसदी की कमी आई थी। जबकि वर्ष 2015-16 से वर्ष 2017-18 के दौरान कुपोषण में चार फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है।
विदित हो कि शरीर को आवश्यक सन्तुलित आहार बहुत समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण की वजह से बच्चों और महिलाओं की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। यह मुख्यतः पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। महिलाओं में घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं।
भारत में कुपोषित बच्चे:
2018 की रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में कुपोषण के कारण कमज़ोर शरीर वाले बच्चों का एक तिहाई हिस्सा भारत में है। भारत में ऐसे बच्चों की संख्या लगभग 4.66 करोड़ है। इसके बाद नाइजीरिया (13.9%) और उसके बाद पाकिस्तान (10.7%) का स्थान है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey):
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वाधान में किया जाने वाला यह एक मुख्य सर्वेक्षण है। भारत में प्रथम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण वर्ष 1992-93 में किया गया था। इसके अंतर्गत परिवार और स्वास्थ्य के बारे में घरों और व्यक्तियों से जानकारी एकत्र की जाती है। यह देश में विस्तृत स्वास्थ्य आकड़ों का मुख्य स्रोत है।
ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में पोषण अभियान की शुरुआत की थी जिसका मुख्य उद्देश्य कुपोषण को वर्ष 2015-16 के 38.4 फ़ीसदी से घटाकर वर्ष 2022 तक 25 फ़ीसदी पर लाना रखा गया है।