असम में फैला अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever)
COVID-19 महामारी के बीच भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में अब एक और नई समस्या आ खाड़ी हुई है। दरअसल हाल ही में असम में पाए गए अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever-ASF) के मामले चिंता का विषय बने हुए हैं।
ग़ौरतलब है कि यह पहली बार है जब भारत में अफ्रीकी स्वाइन फीवर रोग का मामला पाया गया है।
इस वायरस के कारण फरवरी माह से लेकर अब तक राज्य में करीब 2900 घरेलू सूअरों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा पूर्वी असं के छह ज़िलों के 310 गांवों का है। हालांकि पशु चिकित्सा अधिकारियों ने कहा है कि मृत्यु की दर पिछले 48 घंटों में घटी है।
यह वायरस इतना ख़तरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 फ़ीसदी है।
माना जा रहा है कि यह (ASF) वायरस भी नोवल कोरोना वायरस की तरह चीन से आया है। इस बीमारी के कारण चीन में वर्ष 2018 से 2020 के बीच करीब 60 फ़ीसदी सूअरों की मौत हो गई थी।
भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD) ने इस संक्रमण के अफ्रीकी स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि की है। बता सेन कि 2019 की पशुगणना के अनुसार, असम में 21 लाख घरेलू सूअर हैं और 7 लाख से अधिक किसान कम-से-कम 8,000 करोड़ रुपये के सालाना सूअर के मांस के कारोबार में संलग्न हैं।
असम के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि यह वायरस इंसानों तक नहीं पहुंच सकता और फिलहाल उस जगहों के सूअरों से कोई खतरा नहीं है जहां यह संक्रमण (इंफेक्शन) नहीं है।
इस मामले में राज्य का कहना है कि यह स्थिति चिंताजनक है किंतु राज्य ने तय किया है कि वह संक्रमित सूअरों को नहीं मारेगा बल्कि जैवसुरक्षा उपायों को लागू करेगा, जो लॉकडाउन के अनुरूप हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पशु चिकित्सा और वन विभाग को ASF से सूअरों को बचाने के लिए एक व्यापक रोडमैप बनाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) के नेशनल पिग रिसर्च सेंटर के साथ काम करने के लिए कहा है।
ASF के प्रकोप के बाद, राज्य में एक विशेषज्ञ दल का गठन भी किया गया था।
मुख्यमंत्री सोनोवाल ने ICAR और क्षेत्रीय उद्यमिता प्रबंधन संस्थान (RILEM) के डॉक्टरों के साथ बैठक की और समस्या को कम करने के लिए रणनीति की विस्तार से चर्चा की। बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग को इस वायरस के प्रकोप की रोकथाम के उपाय करने के लिए भी कहा। उन्होंने सूअर उद्योग को इस हमले से बचाने के लिए वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
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क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African Swine Fever-ASF)?
- अफ्रीकी स्वाइन फीवर घरेलू और जंगली सूअरों में फैलने वाला एक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल रोग है।
- यह एक ट्रांसबाउंड्री एनीमल डिज़ीज़ (TAD) है जो घरेलू या जंगली जीवित या मृत सूअरों तथा सूअर के मांस उत्पादों द्वारा फैल सकता है।
- इस संक्रमण का पहला मामला 1921 में केन्या और इथियोपिया में सामने आया था। जबकि इसका ताज़ा मामला हाल ही में (2007 के बाद से) अफ्रीका, एशिया और यूरोप के कई देशों में घरेलू और जंगली सूअरों में पाया गया था।
- अफ्रीकी स्वाइन फीवर ‘एसफेरविरिडे परिवार’ (Asfarviridae family) के एक बड़े डीएनए वायरस के कारण होता है, जो जीनस ऑर्निथोडोरोस (Ornithodoros) के टिक्स (ticks) को भी संक्रमित करता है।
- ASF और आम स्वाइन बुखार (classical swine fever-CSF) के लक्षणों में समानता पायी जा सकती है लेकिन ASF वायरस CSF वायरस से भिन्न है।
- ASF वर्ल्ड आर्गेनाइज़ेशन फॉर एनिमल हेल्थ (OIE) के स्थलीय पशु स्वास्थ्य कोड में सूचीबद्ध एक बीमारी है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।
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कैसे फैलता है ASF?
- यह एक ख़तरनाक रोग है जो सूअरों में कई प्रकार से फैल सकता है। जैसे-
- आस-पास का माहौल जैसे पर्यावरण में संक्रमण फैलना, किसी संक्रमित सुअर का सुअरों के फार्म में पहुंचना;
- संक्रमित घरेलू या जंगली सूअरों के साथ सीधे संपर्क से;
- अप्रत्यक्ष संपर्क, दूषित सामग्री के अंतर्ग्रहण के माध्यम से (जैसे कि खाद्य अपशिष्ट, फ़ीड, या कचरा);
- दूषित fomites (ऐसी वस्तुएं या सामग्री जिनके संक्रमण की संभावना हो- जैसे कपड़े, बर्तन, फर्नीचर आदि) या जैविक वैक्टर (जीनस ओरनिथोडोरोस के नरम टिक) जहां मौजूद हैं।
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ASF संक्रमण की पहचान
अफ्रीकी स्वाइन फीवर के लक्षण सूअर की त्वचा पर भी दिखते हैं। इसके अलावा संक्रमित होने पर इनके वज़न में कमी होना, बुखार का तेज़ी से बढ़ना, त्वचा पर अल्सर दिखना और भूख में कमी आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
ASF का उपचार
अफ्रीकी स्वाइन फीवर की अब तक कोई वैक्सीन (approved vaccine) नहीं बनाई जा सकी है। संक्रमित सूअरों को अलग करके उनके मांस के निर्यात पर पाबंदी लगाई जाती है और उनके मल, जूठे खाने जैसी चीज़ों को सावधानीपूर्वक हटा कर इसके संक्रमण को फैलने से रोका जाता है।