COVID-19 : पोस्ट ब्रेक्ज़िट ट्रांज़िशन पीरियड (Post Brexit Transition Period)..जानें
COVID-19 की अनिश्चितता के चलते उत्पन्न हुई चुनौतियों को कम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) प्रमुख ने ब्रिटेन को पोस्ट ब्रेक्ज़िट ट्रांज़िशन पीरियड (Post Brexit Transition Period) में वृद्धि करने या बढ़ाने की सलाह दी है। ग़ौरतलब है कि ब्रिटेन के लिये यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ट्रांज़िशन पीरियड 31 दिसंबर, 2020 को समाप्त हो जाएगा, ऐसे में बिना किसी व्यापारिक समझौते के दोनों तरफ से आयात और निर्यात प्रभावित होगा।
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वर्तमान में ब्रिटेन विश्व के उन देशों में शामिल है जिनमें COVID-19 का सबसे गंभीर प्रभाव देखने को मिल रहा है। यहाँ कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु का पहला मामला 28 फरवरी को सामने आया था और वर्तमान में ब्रिटेन में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख से अधिक तथा मृतकों की संख्या 14,000 से अधिक हो गई है।
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पोस्ट ब्रेक्ज़िट ट्रांज़िशन पीरियड (Post Brexit Transition Period) क्या है?
ब्रिटेन 31 जनवरी, 2020 को यूरोपीय संघ (European Union -EU) से औपचारिक रूप से पृथक हो गया है जिसके तहत अब वह यूरोपीय संसद और यूरोपीय कमीशन से अलग हो गया है, परंतु अभी वह आगामी ग्यारह महीनों यानि कि 31 दिसंबर, 2020 तक यूरोपीय कस्टम यूनियन और एकल बाज़ार (Single Market) का हिस्सा बना रहेगा। यह अवधि ही पोस्ट ब्रेक्ज़िट ट्रांज़िशन पीरियड (Post Brexit Transition Period) है।
इस अवधि के दौरान दोनों पक्षों के बीच व्यापार, वीज़ा और अन्य मामलों पर आवश्यक समझौते किये जाएंगे। इस दौरान यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन के बीच लोगों की आवाजाही और मुक्त व्यापार की अनुमति पूर्ववत बनी रहेगी। क्योंकि ब्रिटेन के कुल निर्यात में से 46 फ़ीसदी की खपत यूरोपीय बाज़ार में होती है ऐसे में ट्रांज़िशन अवधि के बाद बिना किसी व्यापार समझौते के ब्रिटेन के निर्यात को काफ़ी हानि हो सकती है।
इस अवधि को रखने का उद्देश्य ब्रिटेन-यूरोपीय संघ की नई वार्ता के लिए कुछ समय लेने है।
ध्यातव्य है कि वर्ष 1993 में यूरोपीय संघ की स्थापना के बाद ब्रिटेन इस संगठन से अलग होने वाला पहला सदस्य है।
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