सूडान में सेना तख्ता पलट, ओमर अल-बशीर के शासन का अंत, देश में आपातकाल लागू
अफ्रीकी देश सूडान में राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर के 30 साल के तानाशाही शासन का 11 अप्रैल, 2019 को अंत हो गया। सेना ने राष्ट्रपति बशीर को सत्ता से बेदख़ल कर इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही देश में अगले तीन महीनों के लिए आपातकाल भी लागू कर दिया गया है। राष्ट्रपति चुनाव होने तक सैन्य परिषद देश की सत्ता संभालेगी।
सूडान के रक्षा मंत्री अहमद अवद इब्न औफ ने सरकारी टीवी पर अपने संदेश में कहा कि, सेना ने राष्ट्रपति बशीर को गिरफ्तार कर लिया है और अगले तीन महीने तक देश में आपातकाल लागू किया जा रहा है।
सूडान में महंगाई से जूझ रहे लोग बशीर के ख़िलाफ़ कई महीनों से प्रदर्शन कर रहे थे। कई सालों से संघर्षों से जूझ रहे सूडान की अर्थव्यवस्था भी बदहाल हो चुकी है।
राष्ट्रपति अल-बशीर के शासन में सूडान में तानाशाही का माहौल था। इनके शासन काल में देश ने भयंकर गृहयुद्ध झेला। दक्षिण सूडान में साल 2005 में गृहयुद्ध समाप्त हुआ था। ओमर अल-बशीर पर युद्ध अपराध कराने के आरोप लगे थे। इन पर सूडान के पश्चिमी इलाके दारफ़ुर में युद्ध अपराध को संगठित करने और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप हैं।
ओमर अल-बशीर:
- 01 जनवरी, 1944 को सूडान में जन्मे ओमर अल-बशीर सूडान के सातवें राष्ट्रपति थे और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के प्रमुख थे।
- पूर्व सेना अधिकारी रहे ओमर अल-बशीर अफ्रीका में सबसे लंबे वक्त तक राष्ट्रपति रहे नेताओं में शामिल हैं।
- ये 1989 में सेना के तख़्तापलट के बाद सत्ता पर क़ाबिज़ हुए थे।
- बशीर ने अंतरराष्ट्रीय अदालत की ओर से जारी गिरफ़्तारी वारंट के बावजूद साल 2010 और साल 2015 का चुनाव जीता था। गिरफ़्तारी वारंट के कारण इन की अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध लग गया था।
- अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी बशीर के विरुद्ध मामला चल रहा है।
विदित हो कि प्राकृतिक संसाधन के रूप में पेट्रोलियम और कच्चे तेल से भर-पूर सूडान गणराज्य उत्तरी पूर्व अफ्रीका में स्थित अफ्रीका और अरब जगत का सबसे बड़ा देश है। यह विश्व के उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जहां आज भी 3000 ईपू बसी बस्तियां अपना वजूद बचाए हुए हैं। सूडान क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व का दसवां सबसे बड़ा देश है। इसकी राजधानी ख़ार्तूम है।