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केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान और इसरो के बीच तटीय आर्द्रभूमि पर समझौता

केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफ़आरआई) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ हाल ही में तटीय आर्द्रभूमि को संरक्षित करने हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) हस्ताक्षरित किया। इस समझौते के तहत, दोनों संस्थान आर्द्रभूमि की पहचान, उनके सीमांकन का कार्य और तटीय क्षेत्रों में उपयुक्त आजीविका विकल्पों के माध्यम से आर्द्रभूमि की पुनर्स्थापना करेंगे। यह समझौता इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र और सीएमएफ़आरआई के बीच किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • इस परियोजना का उद्देश्य समुद्री मत्स्य पालन और तटीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना है।
  • दोनों संस्थानों द्वारा एक मोबाइल ऐप और एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल विकसित किया जायेगा, जिसका उपयोग आर्द्रभूमि की वास्तविक समय में निगरानी और हितधारकों तथा तटीय क्षेत्र के लोगों को सलाह देने के लिये किया जाएगा।
  • ऐप के अंतर्गत देश के 2.25 हेक्टेयर से छोटी आर्द्रभूमियों का एक व्यापक डेटाबेस होगा। ध्यातव्य है कि इस तरह की छोटी आर्द्रभूमियों के अंतर्गत देश भर का पाँच लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र आता है। अकेले केरल में ही 2,592 छोटी आर्द्रभूमियाँ हैं।
  • समझौते में तटीय क्षेत्रों में छोटे आर्द्र प्रदेशों का नक्शा बनाना, उन्हें सत्यापित तथा संरक्षित करना भी शामिल है।
  • यह सीएमएफ़आरआई की परियोजना ‘जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार’ द्वारा विकसित ‘मत्स्य पालन और आर्द्रभूमि के लिये राष्ट्रीय ढाँचा’ के अंतर्गत उठाया गया एक क़दम है।

विदित हो कि भारत सरकार द्वारा 3 फरवरी, 1947 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute- CMFRI) की स्थापना की गई थी। इसका मुख्यालय कोच्चि, केरल में है। विश्व में एक प्रमुख उष्णकटिबंधीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान के रूप में स्थापित सीएमएफ़आरआई, 1967 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में शामिल हुआ था।

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