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जापान के 126वें राजा बने राजकुमार नारुहितो; नए रीवा युग (Reiwa Era) की शुरुआत

जापान के राजकुमार नारुहितो (Crown Prince Naruhito) 01 मई, 2019 को जापान के नए राजा बन गए जिसके साथ ही जापान के इतिहास में एक नए अध्याय का आरंभ हो गया है। 59 वर्षीय नारुहितो देश के 126वें राजा हैं। राजकुमार नारुहितो ने टोक्यो स्थित इम्पीरियल पैलेस में आयोजित ऐतिहासिक समारोह में 300 लोगों की मौजूदगी में नए राजा का पद संभाला। नारुहितो को एक विशेष समारोह में सम्राट की राजमुद्रा प्रदान की गई।

इससे पहले नारुहितो के पिता और पूर्व शासक सम्राट अकिहितो (Emperor Akihito) ने राजा के रूप में अंतिम बार जनता को संबोधित किया। 30 अप्रैल को आधिकारिक रूप से राजगद्दी त्यागने के साथ ही अकिहितो के 30 वर्षों का शासनकाल समाप्त हो गया।

जापान में नए “रीवा युग” (Reiwa Era) की शुरुआत:
राजकुमार नारुहितो के राजगद्दी सँभालने के साथ ही जापान में एक नए युग “रीवा युग” की शुरुआत हो होगी और उनका शासनकाल इसी नाम से जाना जाएगा। “रीवा युग” का मतलब है ‘सुंदर संगति’। नारुहितो का शासनकाल अब इसी नाम से जाना जाएगा। जापान में प्रत्येक सम्राट के राज्यारोहण पर एक नई परंपरा का शब्दघोष निर्धारित किया जाता है।
दरअसल, जापान में जब कोई सम्राट राजगद्दी छोड़ता है तो इसके साथ ही एक युग का अंत हो जाता है और नए राजा बनने के साथ एक नए युग का प्रारंभ होता है। अकिहितो के युग का नाम “हेईसेई” (Heisei) था।

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31 हज़ार करोड़ ख़र्च होंगे नए युग के बदलाव पर:
राजशाही में हुए इस बदलाव के बाद जापान का नया शाही कैलेंडर जारी हो गया है। सरकारी दस्तावेजों, टैक्स के फॉर्म्स से लेकर शादी रेजिस्ट्रेशन तक पर अब यह पहला साल दर्ज किया जायेगा। इस नए युग के परिवर्तन पर जापान में क़रीब 31 हज़ार 300 करोड़ रुपए का ख़र्च आने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

200 वर्षों में पहली बार सम्राट ने स्वयं राजगद्दी छोड़ी:
जापान के शाही घराने के 200 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी राजा ने स्वयं राजगद्दी छोड़ी है। 85 वर्षीय सम्राट अकिहितो ने अपनी ढलती उम्र और गिरते स्वास्थ्य के कारण सम्राट की ज़िम्मेदारियां ठीक प्रकार से निभा पाने में असमर्थता जताई थी और पद त्याग करने की इच्छा व्यक्त की थी। उनके इस निर्णय का जनता ने सम्मान किया और उनकी इच्छा को स्वीकार किया। इसके लिए बाक़ायदा संसद में क़ानून बना कर उन्हें राजगद्दी छोड़ने की इजाज़त दी गई।
जापान की शाही परंपरा के इतिहास में अकिहितो पहले सम्राट हैं, जिन्होंने जीवित अवस्था में सिंहासन का त्याग किया है। जापान के संविधान में जीवन पर्यंत सम्राट का अपने पद पर बने रहने का प्रावधान है।

नए राजा नारुहितो:

  • नारुहितो विदेश में जाकर पढ़ने वाले शाही घराने के पहले सदस्य हैं।
  • इन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की है।
  • नारुहितो की पत्नी और जापान की नई साम्राज्ञी मसाको हार्वर्ड से शिक्षित हैं।
  • पहली बार द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जन्मी पीढ़ी ने जापान के सम्राट का पद संभाला है।
  • यह जापान में नए अध्याय का आरंभ है।
  • नारुहितो की एक बेटी एको है। जापानी परंपरा के मुताबिक़, केवल पुरुष ही राजा बन सकता है। ऐसे में नारुहितो की बेटी रानी नहीं बन पायेगी।

सम्राट अकिहितो:

  • अकिहितो का जन्म 23 दिसंबर, 1933 को जापान के पूर्व शासक हिरोहितो और रानी नगाको की संतान के रूप में हुआ।
  • जापान में हिरोहितो को देवता और अकिहितो को देवपुत्र माना जाता है।
  • नवंबर 1952 में 19 वर्षीय अकिहितो को क्राउन प्रिंस के रूप में अधिकृत किया गया।
  • 1953 में ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के गद्दी सँभालने के अवसर पर अकिहितो ब्रिटेन गए थे। यह उनकी पहली विदेश यात्रा थी।
  • ये पहले जापानी राजा बने जिन्होंने शाही घराने से इतर किसी सामान्य महिला से शादी की। इन्होंने वर्ष 1959 में मिशिको शोडा से शादी की थी।
  • 1960 में अकिहितो के बड़े पुत्र नारुहितो और 1965 में दूसरे पुत्र फुमिहितो का जन्म हुआ। फुमिहितो को बाद में प्रिंस अकिशिनो की उपाधि दी गई।
  • अकीहितो 1960 में अपनी पत्नी के साथ भारत यात्रा पर आए थे। भारत की यात्रा पर आने वाले वह पहले सम्राट थे। इसके बाद उन्होंने 2013 में भी भारत यात्रा की।
  • राजा हिरोहितो की मृत्यु के उपरांत 1989 में अकिहितो के राजगद्दी संभालने के साथ ही “हेईसेई युग” की शुरुआत हुई।
  • चीन की यात्रा करने वाले ये पहले राजा थे। इन्होंने 1992 में चीन की यात्रा की। यात्रा के दौरान इन्होंने कहा कि जापान के सैनिकों ने चीन को गहरा दुःख पहुंचाया है।
  • अकिहितो का शासनकाल 30 साल चला।
  • वर्ष 2016 में अपने स्वास्थ्य को लेकर असमर्थता जताते हुए अकिहितो ने राजगद्दी छोड़ने की घोषणा की थी।
  • अकिहितो की छवि एक संवेदनशील शासक की रही है।

 

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पुरुष को ही राज सिंहासन का अधिकार:
जापानी राजशाही परंपरा के अनुसार केवल पुरुष सदस्य को ही राज सिंहासन संभालने का अधिकार है। अकिहितो के नाती-पोतों में सिर्फ एक ही राजकुमार है। बाकी तीन राजकुमारियां हैं। ऐसे में अगली पीढ़ी में राज परिवार के पास एक ही वारिस है। सम्राट नारुहितो की एक बेटी है जिसका नाम प्रिंसेस एको है। जबकि प्रिंस अकिशिनो की दो बेटियां प्रिंसेस काको और प्रिंसेस माको हैं। अकिशिनो का एक बेटा है हिशाहितो, जो अभी महज़ 12 साल का है। ऐसे में हिशाहितो ही इस राजगद्दी का इकलौता वारिस कहा जा सकता है।

बेटियों का राजपरिवार का दर्जा हो सकता है समाप्त:
जापान के राज परिवार के नियमों के मुताबिक़, अगर कोई राजकुमारी किसी ग़ैर-राजपरिवार में विवाह कर लेती है तो उसका राजपरिवार का दर्जा स्वत: छिन जाता है। हाल ही में सम्राट अकिहितो की बेटी सायाको, प्रिंसेस नोरी (Sayako, Princess Nori) ने ग़ैर-राजपरिवार से सम्बंधित एक आम आदमी से शादी की थी जिसके चलते उनका राज परिवार की सदस्य होने का दर्जा समाप्त कर दिया गया था।

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विश्व का सबसे प्राचीन राजवंश:
जापान पर लगभग 2600 साल से इस राजघराने का शासन है। 660 ईसा पूर्व वहां सूर्यदेवी एमातेरासू से प्रारंभ वंश परंपरा सम्राट जिम्मू से शुरू मानी जाती है और तब से अनवरत यह राजघराना चला आ रहा है, जो विश्व का सबसे प्राचीन राजवंश माना जाता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से सम्राट के अधिकार बहुत सीमित कर दिए गए थे। जापान के इतिहास में सम्राट को देवस्वरूप माना जाता है, जो वहां के बहुसंख्यक शिंतो धर्म के भी प्रमुख माने जाते हैं।

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