भारतीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषद के गठन को स्वीकृति
सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा एवं सेवाओं के नियमन और मानकीकरण के लिए सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशा विधेयक 2018 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दी| इस सन्दर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 22 नवंबर, 2018 को बैठक हुई थी जिसमें यह मंज़ूरी दी गयी|
इस विधेयक का उद्देश्य देशभर में मुहैया कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी प्रणाली को सुदृढ़ बनाना है|
अधिनियम पारित होने के 6 माह के भीतर एक अंतरिम परिषद का गठन किया जाएगा, जो केन्द्रीय परिषद का गठन होने तक दो वर्षों के लिए प्रभार संभालेगी|
यह विधेयक, दायरे में आने वाले किसी भी पेशे से जुड़े किसी भी अन्य मौजूदा कानून से ऊपर माना जाएगा| विधेयक के तहत केन्द्र एवं राज्य सरकारों को भी नियम बनाने का अधिकार होगा|
इस विधेयक में एक भारतीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषद और संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है, जो सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशों के लिए एक मानक निर्धारक और सुविधाप्रदाता की भूमिका निभाएंगी|
अनुमानित व्यय:
आरंभिक चार वर्षों में कुल लागत 95 करोड़ रुपये रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है| जिसके तहत कुल बजट का लगभग 80 फ़ीसदी (अर्थात 75 करोड़ रुपये) राज्यों के लिए निर्धारित किया गया है, जबकि शेष राशि से चार वर्षों तक केन्द्रीय परिषद के परिचालन के साथ-साथ केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय रजिस्टरों को तैयार करने में सहयोग प्रदान किया जाएगा|
केन्द्रीय परिषद:
इसमें 47 सदस्य होंगे जिनमें से 14 सदस्य पदेन होंगे, जो विविध एवं संबंधित भूमिकाओं तथा कार्यकलापों का प्रतिनिधित्व करेंगे| शेष 33 सदस्य गैर-पदेन होंगे और ये मुख्यत: 15 प्रोफेशनल श्रेणियों का प्रतिनिधित्व करेंगे|
राज्य परिषद:
राज्य परिषद में 7 पदेन सदस्य और 21 गैर-पदेन सदस्य होंगे| गैर-पदेन सदस्यों में से ही इसके अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाएगा| ग़ौरतलब है कि राज्य परिषद की परिकल्पना केन्द्रीय परिषद को प्रतिबिंबित करने के रूप में भी की गई है|
विधेयक के मुख्य तथ्य:
- विधेयक के तहत केन्द्रीय एवं संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों में सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विषयों में 53 पेशों सहित 15 प्रमुख प्रोफेशनल श्रेणियां होंगी|
- विधेयक में केन्द्रीय परिषद और राज्य परिषदों की संरचना, गठन, स्वरूप एवं कार्यकलापों जैसे- नीतियां एवं मानक तैयार करना, प्रोफेशनल आचरण का नियमन, लाइव रजिस्टरों का सृजन एवं रखरखाव, कॉमन एंट्री एवं एग्जिट परीक्षाओं हेतु प्रावधान का उल्लेख किया गया है|
- नियम-क़ानून बनाने, कोई अनुसूची जोड़ने अथवा किसी अनुसूची में संशोधन करने हेतु केन्द्र सरकार को भी परिषद को निर्देश देने का अधिकार होगा|
- राज्य परिषद सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा संस्थानों को मान्यता देने का कार्य करेगी|
- केन्द्रीय एवं राज्य परिषदों के अधीनस्थ प्रोफेशनल सलाहकार निकाय विभिन्न मुद्दों पर स्वतंत्र ढंग से गौर करेंगे और विशिष्ट मान्यता प्राप्त श्रेणियों से संबंधित सिफारिशें पेश करेंगे|
- केन्द्र एवं राज्यों में परिषद का गठन कॉरपोरेट निकाय के रूप में किया जाएगा जिसके तहत विभिन्न स्रोतों से धनराशि प्राप्त करने का प्रावधान होगा|
- यद्यपि ज़रूरत पड़ने पर परिषदों की सहायता क्रमश: केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा भी अनुदान सहायता के द्वारा की जाएगी, किन्तु राज्य सरकार द्वारा असमर्थता जताने की स्थिति में केन्द्र सरकार आरंभिक वर्षों हेतु राज्य परिषद को कुछ अनुदान जारी कर सकती है|
- परिषद में कदाचार की रोकथाम हेतु विधेयक में अपराधों एवं जुर्माने से जुड़े अनुच्छेद को भी शामिल किया गया है|
उद्देश्य:
- इस विधेयक का उद्देश्य मुहैया कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी प्रणाली को सुदृढ़ बनाना है| ग़ौरतलब है कि वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में ऐसे अनेक सहयोगी तथा स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल कार्यरत हैं, जो अब तक न तो चिन्हित एवं विनियमित किए गए हैं और न ही जिनका अब तक अपेक्षा के अनुरूप इस्तेमाल किया जा रहा है|
- परिषद के गठन से सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कार्यबल की दक्षता का लाभ उठाते हुए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योग्य, अत्यंत कुशल और उपयुक्त रोज़गारों को सृजित करने का अवसर मिलेगा। साथ ही इसके द्वारा आयुष्मान भारत के विज़न अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली विविध स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो पाएंगी। अतः कहा जा सकता है कि इस विधेयक से देश की पूरी आबादी तथा समग्र रूप से समूचे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को लाभ मिलेगा।
- एक अनुमान के अनुसार, सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशा विधेयक, 2018 से देशभर में सीधे तौर पर मौजूदा लगभग 8-9 लाख सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा संबंधी प्रोफेशनल और हर वर्ष कार्यबल में बड़ी संख्या में शामिल होने वाले एवं स्वास्थ्य प्रणाली में अहम योगदान देने वाले अन्य स्नातक प्रोफेशनल को लाभ प्राप्त होगा।
वैश्विक स्तर पर:
दुनियाभर में अधिकतर देशों में इस सन्दर्भ में एक वैधानिक लाइसेंसिंग अथवा नियामकीय निकाय होता है, जो इस तरह के प्रोफेशनलों, विशेष कर सीधे तौर पर मरीजों की देखभाल करने वालों (जैसे कि फिज़ियोथेरेपिस्ट, पोषण विशेषज्ञ इत्यादि) अथवा मरीजों की देखभाल को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले पेशों से जुड़े लोगों (लैब टेक्नोलॉजिस्ट, डॉसिमेट्रिस्ट इत्यादि) की योग्यताओं एवं सक्षमताओं को लाइसेंस देने एवं प्रमाणित करने के लिए अधिकृत होता है।