विश्व के लगभग 2.1 बिलियन लोग अस्वच्छ पानी पीने को हैं मजबूर: यूनेस्को
यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) ने 19 मार्च, 2019 को “अंतर्राष्ट्रीय विश्व जल विकास रिपोर्ट-2019” अथवा “वर्ल्ड वॉटर डेवलपमेंट रिपोर्ट-2019” (WWDR) जारी की। इस रिपोर्ट का शीर्षक था – ‘लीविंग नो वन बिहाइंड’ (Leaving No One Behind) ।
रिपोर्ट के अनुसार :-
- विश्व के क़रीब 2.1 बिलियन लोगों को अस्वच्छ पानी पीने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
- दुनियाभर में लगभग 4.3 बिलियन लोगों के पास स्वच्छ पानी की सुविधा नहीं है।
- विश्व की एक तिहाई जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद ग़रीबी की हालत में रह रही है। यह तबक़ा खाद्य असुरक्षा के साथ-साथ कुपोषण से भी जूझ रहा है।
- वर्ष 2017 के अंत तक संघर्ष, उत्पीड़न एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप 68.5 मिलियन लोगों को अपने घरों से जबरन विस्थापित होना पड़ा जिसके चलते उन्हें स्वच्छ पानी की सुविधाओं से वंचित होना पड़ा है।
- इसके अतिरिक्त क़रीब 18.8 मिलियन लोग अचानक आई आपदाओं के चलते विस्थापित हुए। इससे उस स्थान की वास्तविक जनसंख्या तथा विस्थापन के बाद आकर बसने वाले लोगों को प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
- अमीर लोगों को कम कीमत पर बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं जबकि ग़रीब लोग स्वच्छ पानी के लिए अधिक कीमत चुका रहे हैं।
रिपोर्ट में यूनेस्को ने इस समस्या के समाधानस्वरूप सुझाव देते हुए कहा है कि चूंकि प्रभावित और कमज़ोर समूह सजातीय नहीं हैं, अतः पानी की आपूर्ति और स्वच्छता के सन्दर्भ में नीतियों को अलग-अलग आबादी के बीच तथा प्रत्येक को संबोधित करने के लिए विशिष्ट तरीके से डिज़ाइन करने की आवश्यकता है। राज्यों को अपने दायित्व का पालन करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सार्वजनिक भागीदारी की सुविधा प्रदान करें और लोगों के अधिकारों की रक्षा करें तथा उन्हें उनके अधिकार दिलाएं। सुरक्षित, सस्ता और विश्वसनीय पेयजल तथा स्वच्छता सेवाओं तक पहुँच सभी के मूलभूत अधिकार हैं।
“वर्ल्ड वॉटर डेवलपमेंट रिपोर्ट” (WWDR):
इस रिपोर्ट का विकास, विश्व जल आकलन कार्यक्रम (डब्ल्यूडब्ल्यूएपी) द्वारा समन्वित, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और संस्थाओं का संयुक्त प्रयास है, जो संयुक्त राष्ट्र के लिए जल संबंधी कार्यों को करते हैं।
यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की जाने वाली एक वैश्विक रिपोर्ट है जिसमें विश्व में पानी की उपलब्धता तथा इसकी स्थिति एवं स्थानीय समस्याओं व पानी से जूझ रहे विशेष क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जाती है। सर्वप्रथम यह रिपोर्ट वर्ष 2003 में जारी की गई थी। इसके बाद यह 2006, 2009 और 2012 में जारी की गई। पहले यह प्रति तीन वर्ष में एक बार जारी की जाती थी। पर वर्ष 2014 से यह प्रतिवर्ष जारी की जाने लगी है।