उत्तर प्रदेश के सनौली में मिली उत्तर-हड़प्पाकाल की 4,000 वर्ष पुरानी कब्रगाह
भारतीय पुरातत्व विभाग (Archaeological Survey of India- ASI) को हाल ही में उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में स्थित सनौली में पुरातात्त्विक उत्खनन के दौरान 4,000 वर्ष पुरानी कब्रगाह खोजी गई है। इस उत्खनन के दौरान विशेषज्ञों को चार हज़ार वर्ष पुराने चावल, कोठरियां तथा बर्तन भी मिले हैं।
मुख्य तथ्य:
- पुरातत्व विभाग को इस स्थान पर उत्खनन के दौरान शवाधान स्थल में मृत शरीर के साथ पैर वाले ताबूत, चावल एवं दाल से भरे बर्तन और जानवरों की हड्डियाँ भी पाई गई हैं।
- यह कब्रगाह परिपक्व हड़प्पा संस्कृति के अंतिम चरण के समकालीन है। उस कालखंड के दौरान ऊपरी गंगा-यमुना दोआब की संस्कृति को समझने के लिये इस उत्खनन से ज्ञात निष्कर्ष महत्त्वपूर्ण हैं।
- खोजकर्ताओं को शवों के अवशेष के साथ मवेशियों की हड्डियाँ, चावल और उड़द की दाल भी मिली है।
- उत्खननकर्त्ताओं को खोजी गई इन कब्रों में से एक कब्र में दफनाये गये व्यक्ति के सिर के पास अर्द्ध-शिला, मिट्टी के बर्तन और तलवार भी रखी गई थी।
- एएसआई को यहाँ तीन रथ, कुछ ताबूत, ढाल, तलवार और साथ ही हेल्मेट भी मिला है जो 2,000 ईसा पूर्व के आसपास इस क्षेत्र में योद्धा वर्ग के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं।
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विदित हो कि उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में यमुना नदी के किनारे पर स्थित सनौली में पुरातात्त्विक स्थल का उत्खनन पहली बार 2018 में शुरू हुआ था जिसे जनवरी 2019 में फिर से आरंभ किया गया है। यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के बागपत में स्थित है। इस क्षेत्र में हड़प्पाकाल का सबसे बड़ा रथ पाया गया है। वर्ष 2018 की खुदाई में यहां तीन रथ प्राप्त हुए थे।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI):
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत एएसआई, देश की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है। यह सरकारी एजेंसी पुरातत्व अध्ययन और सांस्कृतिक स्मारकों के अनुरक्षण के लिये उत्तरदायी है। इसका प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों तथा पुरातत्त्वीय स्थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है।
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