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जम्मू-कश्मीर विधानसभा हुई भंग

जम्मू-कश्मीर में 21 नवम्बर, 2018 को नाटकीय ढंग से जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग हो गई। विभिन्न राजनितिक दलों की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया गया था किन्तु इसके तत्काल बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कार्रवाई करते हुए धारा 53 के तहत तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का आदेश दे दिया। राज्य में जून, 2018 से राज्यपाल शासन लागू है।

इस सन्दर्भ में राजभवन द्वारा राज्यपाल की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि राज्य में स्थिरता व सुरक्षा का माहौल बनाने तथा स्पष्ट बहुमत वाली सरकार के गठन हेतु उचित समय पर चुनाव कराने के उद्देश्य से मौजूदा विधानसभा को भंग किया गया है।

इससे पूर्व ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी’ (पीडीपी) द्वारा ‘नेशनल कांफ्रेंस’ (एनसी) व कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

राज्यपाल ने विधानसभा भंग करने के कारणों का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य में दो विरोधी दलों के एक साथ आने से राज्य में स्थिर सरकार नहीं बन सकती है। परस्पर विरोधी राजनीतिक विचारधारा वाले दलों के गठबंधन से स्थाई सरकार बनने में आशंका है। बहुमत के लिए अलग-अलग दावे हैं, ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह है। साथ ही सरकार बनाने के लिए विधायकों की ख़रीद-फ़रोख्त तथा धन के लेन देन की आशंका भी है। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकारक हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 89 सीटे हैं, जिनमें से दो सदस्य मनोनीत होते हैं। मौजूदा स्थिति में पीडीपी के पास 28, भाजपा के पास 25, एनसी के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 सीटें हैं। जबकि सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 44 विधायकों की आवश्यकता होती है।

ध्यातव्य है कि जम्मू-कश्मीर में 16 जून, 2018 को भाजपा के समर्थन वापस लेने से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिर गई थी। इसके बाद से ही राज्यपाल शासन लागू है। विदित हो कि वर्ष 2015 में राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती राज्य की 9वीं मुख्यमंत्री बनी थीं।

राज्य संविधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 6 महीने से अधिक समय तक राज्यपाल शासन लागू नहीं रखा जा सकता है और मौजूदा हालात में सरकार का गठन न होने की स्थिति में 19 दिसंबर, 2018 को राज्यपाल शासन के 6 महीने पूरे होते ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता।

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