ऐसा दिखता है ब्लैक होल: ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी
वैज्ञानिकों द्वारा ब्लैकहोल की पहली तस्वीर जारी की गई है। यह तस्वीर 10 अप्रैल, 2019 को जारी की गई। इस तस्वीर से गैस और प्लाज़्मा का नांरगी रंग का प्रकाश निकलता दिखाई दे रहा है। ईवेंट होरिज़न टेलिस्कोप (Event Horizon Telescope-EHT) परियोजना में शामिल वैज्ञानिकों ने यह तस्वीर निकाली है।
5.35 करोड़ प्रकाश-वर्ष है दूर:
‘मॉन्स्टर’ नामक उपग्रह वाला यह ब्लैक होल हमारे सूर्य से क़रीब 600 गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों ने ब्रसेल्स, शंघाई, टोक्यो, सैंटियागो, वॉशिंगटन और ताइपे में अलग-अलग संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि इस गहरे रंग की आकृति के पीछे से नारंगी रंग की गैस और प्लाज़्मा आकाशगंगा में एक गहरे काले गोले को दिखाता है, जिसे एम87 कहते हैं। आकाशगंगा एम87 (M87) में 5.35 करोड़ प्रकाशवर्ष दूर मौजूद है।
6 रेडियो दूरबीनों की सहायता से मिली तस्वीर:
- वैज्ञानिकों ने दो वर्ष पहले ईवेंट होरिज़न टेलिस्कोप द्वारा एकत्रित किये गए आँकड़ों के विश्लेषण के बाद आकाशगंगा M87 में 53 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर स्थित इस ब्लैक होल की तस्वीर जारी की है।
- इस तस्वीर को पाने के लिए वर्ष 2017 में विश्व के 5 देशों के 6 शहरों हवाई, एरिज़ोना, स्पेन, मेक्सिको, चिली और दक्षिण ध्रुव में छह रेडियो दूरबीन स्थापित की गई थीं जिनकी सहायता से आकाशगंगा M87 का अवलोकन किया गया।
- ब्लैक होल की तस्वीर प्राप्त करने में लगभग 200 वैज्ञानिकों ने कई सुपरकंप्यूटर तथा सैकड़ों टेराबाइट डेटा का उपयोग किया।
- इन रेडियो दूरबीनों द्वारा प्राप्त डेटा की सहायता से लगभग 12,000 किमी. के क्षेत्र में फैली एक आभासी वेधशाला तैयार हो गई थी।
तारों को परिक्रमा में लगते हैं 20 साल:
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के खगोलविद और ब्लैक होल के विशेषज्ञ पॉल मैक्नमारा के मुताबिक़, ब्लैक होल में गुरुत्वाकर्षण इतना मज़बूत है कि तारों को इसकी परिक्रमा में 20 साल लगते हैं। हमारी सौर प्रणाली में आकाशगंगा की परिक्रमा में 23 करोड़ साल लगते हैं।
क्या है ब्लैक होल:
ब्लैक होल अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं, जिनका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र काफी शक्तिशाली होता है। इसके खिंचाव से कुछ नहीं बच सकता। इसमें वस्तुएं गिर तो सकती हैं लेकिन वापस नहीं आ सकती हैं। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। इसलिए इसे ब्लैक होल कहा जाता है। चूँकि इनसे प्रकाश का पारगमन नहीं होता है, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं। हालाँकि विशेष उपकरणों से युक्त अंतरिक्ष टेलिस्कोप की मदद से ब्लैक होल की पहचान की जा सकती है। ये उपकरण यह बताने में भी सक्षम हैं कि ब्लैक होल के निकट स्थित तारे अन्य प्रकार के तारों से किस प्रकार भिन्न व्यवहार करते हैं।
विदित हो कि ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक में किया था।