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भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता कादर खान का लंबी बीमारी के बाद निधन

लंबे समय से बीमार चल रहे भारतीय सिने जगत के जाने-माने अभिनेता और लेखक कादर खान का 01 जनवरी, 2019 को निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और कुछ समय से कनाडा के एक अस्पताल में अपना इलाज करा रहे थे।

कादर खान के निधन पर शोक व्यतक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि कादर खान जी ने अपने बेहतरीन अभिनय कौशल से सिने जगत को रौशन कर अपने अनूठे हास्य भाव से सिने प्रेमियों को हंसाया। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार वालों और प्रशंसकों को अपनी संवेदनायें प्रकट करते हुए कहा कि वह एक अच्छे पटकथा लेखक थे और अनेक यादगार फिल्मों से जुड़े थे। उनके निधन से बहुत दुख हुआ।

कादर खान के बारे में:

• 22 अक्टूबर, 1937 को काबुल में जन्मे कादर खान के पिता जी अब्दुल रहमान खान कंधार के थे जबकि इनकी माता जी पिशिन, ब्रिटिश भारत (वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित शहर) से थीं।

• वर्ष 1973 में आई राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘दाग़’ से कादर खान के अभिनय करियर की शुरुआत हुई। वर्ष 1974 में राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘रोटी’ के लिए भी कादर खान ने ही संवाद लिखे थे।

• इससे पहले कादर खान रणधीर कपूर और जया भादुरी अभिनीत फिल्म ‘जवानी-दिवानी’ के लिए संवाद लिख चुके थे।

• एक पटकथा लेखक के रूप में कादर खान ने मनमोहन देसाई के साथ ‘धर्मवीर’, ‘गंगा जमुना सरस्वती’, ‘कुली’, ‘देश प्रेमी’, ‘सुहाग’, ‘अमर अकबर एंथनी’ जबकि प्रकाश मेहरा के साथ ‘ज्वालामुखी’, ‘शराबी’, ‘लावारिस’ और ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जैसी सफल फिल्में दीं।

• कादर खान ने ‘कुली नंबर 1’, ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’, ‘कर्मा’, ‘सल्तनत’ जैसी कामयाब फिल्मों के संवाद लिखे।

• कादर खान ने अपने फ़िल्मी करियर में 300 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया और 250 से भी अधिक फिल्मों में संवाद लिखे।

• इनके द्वारा लिखे गए डायलॉग्स में से एक 1990 में आई फ़िल्म ‘अग्निपथ’ के लिए लिखा गया यह डायलॉग बहुत मशहूर हुआ था – “विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कादर खान “प्रोग्रेसिव सुपरान्यूक्लियर पाल्सी” (पीएसपी) नामक बीमारी से पीड़ित थे, जिसकी वजह से उन्हें संतुलन बनाने तथा चलने-फिरने में परेशानी होती थी। इसके आलावा वे डिमेंशिया की समस्या से भी जूझ रहे थे।

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