राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस-2019
भारतभर में 11 मई, 2019 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day) मनाया गया। यह दिवस भारत की विज्ञान में दक्षता एवं प्रौद्योगिकी में विकास को दर्शाता है। इस दिवस को तकनीकी रचनात्मकता, वैज्ञानिक जांच, उद्योग और विज्ञान के एकीकरण में किये गये प्रयास का प्रतीक माना जाता है।
विषय:
वर्ष 2019 के इस दिवस का विषय (theme) – विज्ञान लोगों के लिए और लोग विज्ञान के लिए” (Science for People and People for Science) रखा गया है।
मुख्य बिंदु:
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय प्रत्येक वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाता है।
- इस दिन प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान मंत्रालय के द्वारा उनके विभाग में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कराये जाते हैं साथ ही इस दिन राष्ट्र गर्व के साथ-साथ अपने वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को भी याद किया जाता है।
- इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार भी प्रदान करते हैं। यह पुरस्कार इस क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है।
- यह दिन देश की तकनीकी क्रांति और उसको सशक्त बनाने में बहुत मायने रखता है।
- ’11 मई’ का दिन प्रौद्योगिकी के हिसाब से भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day):
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की शुरुआत 1998 में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण से हुई थी. भारत ने 1998 में ’11 मई’ के दिन ही राजस्थान के पोखरण परीक्षण श्रृंखला में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया था। इस परीक्षण के प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त होने के उपलक्ष्य में ही राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया जाता है।
‘11 मई’ अन्य कई प्रौद्योगिकी उपलब्धियों के हिसाब से भी महत्वपूर्ण:
हंस-3 का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण: 1998 में ’11 मई’ को ही भारत में निर्मित देश के पहले स्वदेशी विमान हंस-3 ने उड़ान भरी थी। नेशनल एयरोस्पेस लैबरेटरीज़ द्वारा विकसित हंस-3 दो सीटों वाला हल्का सामान्य विमान है जिसका इस्तेमाल पायलटों को प्रशिक्षण देने, हवाई फोटोग्राफी, निगरानी और पर्यावरण से संबंधित परियोजनाओं के लिए होता था।
त्रिशूल मिसाइल का अंतिम परीक्षण: 1998 में इसी दिन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ज़मीन से हवा में मार करने वाली छोटी दूरी की मिसाइल ‘त्रिशूल’ का अंतिम परीक्षण किया था। बाद में यह मिसाइल भारतीय वायुसेना थलसेना में शामिल की गई थी। भारत के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत तैयार इसी परियोजना के तहत पृथ्वी, आकाश और अग्नि मिसाइलों को बनाया गया।
पोखरण– 2 परमाणु परीक्षण:
भारत में पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में किया गया था जिसका कोड नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ था। राजस्थान के पोखरण परमाणु स्थल पर पांच परमाणु परीक्षण 11 और 13 मई, 1998 को किये गये थे। भारत द्वारा शक्ति-1 नामक परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण 01 मई, 1998 को किया गया था। इन परीक्षणों के फ़ौरन बाद 28 और 30 मई को पाकिस्तान ने चगाई-1 व चगाई- 2 के नाम से परमाणु परीक्षण किए थे।