28 फरवरी को मनाया गया राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
देशभर में 28 फरवरी, 2019 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया। वर्ष 2019 के लिए इस दिवस का विषय था- “लोगों के लिए विज्ञान और विज्ञान के लिए लोग” (Science for the People and People for Science) ।
इस दिन सभी विज्ञान संस्थानों, जैसे राष्ट्रीय एवं अन्य विज्ञान प्रयोगशालाएं, विज्ञान अकादमियों, स्कूल और कॉलेज तथा प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
ध्यातव्य है कि भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा 28 फरवरी, 1928 को “रमन प्रभाव” की खोज की गई थी जिसके उपलक्ष्य में भारत भर में प्रतिवर्ष यह दिवस मनाया जाता है। सीवी रमन को उनकी इस खोज के लिए वर्ष 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह किसी भी भारतीय एवं एशियन व्यक्ति द्वारा जीता गया पहला नोबल पुरस्कार था।
मुख्य उद्देश्य:
- देश में विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि में बढ़ोतरी करने और परमाणु ऊर्जा को लेकर लोगों के मन में कायम भ्रातियों को दूर करने के साथ ही यह समझाना कि इसके विकास के द्वारा ही समाज के लोगों का जीवन स्तर अधिक से अधिक ख़ुशहाल बनाया जा सकता है।
- देश के नागरिकों को इस क्षेत्र में मौका देकर नई ऊंचाइयों को हासिल करना।
- दैनिक जीवन में वैज्ञानिक अनुप्रयोग के महत्व के संदेशों को लोगों के बीच फैलाना, मानव कल्याण हेतु विज्ञान के क्षेत्र की सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करना तथा विज्ञान के विकास के लिए इन मुद्दों पर चर्चा करके नई प्रौद्योगिकी को लागू करना
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुरुआत:
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्य़ोगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी) के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के तौर पर नामित किया गया था। इसके तहत पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया।
“रमन प्रभाव” क्या है?
एक ऐसी घटना है जिसमें प्रकाश की किरण को अणुओं द्वारा हटाए जाने पर वह प्रकाश अपने तरंगदैर्ध्य में परिवर्तित हो जाता है। प्रकाश की किरण जब एक धूल–मुक्त, पारदर्शी रसायनिक मिश्रण से गुजरती है तो घटना (आनेवाली) बीम की दूसरी दिशा में प्रकाश का छोटा सा अंश उभरता है। छोटा सा अंश मूल प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की तुलना में अलग तरंगदैर्ध्य वाला होता है और उसकी उपस्थिति “रमन प्रभाव” का परिणाम है। डॉ. रमन ने इसकी खोज इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता की प्रयोगशाला में काम करने के दौरान की थी।