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Dunki Route: क्या है अमेरिका जाने वाला डंकी रूट..

अनेकों तरह के जोखिमों के बावजूद भी डंकी रूट्स (Dunki Route) के ज़रिये अमेरिका जैसे देशों में जाने की ख्वाहिश रखने वाले लोग मोटा पैसा खर्च करते हैं। डंकी रूट एक महंगा और जानलेवा सफ़र है जिसमें अक्सर डंकी ट्रैवलर्स को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ता है।

जानें क्या है Dunki Route: साल 2023 में शाहरुख़ खान की एक फिल्म आई थी डंकी (Dunki)। इस फिल्म में अमेरिका जाने की चाह रखने वाले कई भारतीय युवाओं को दिखाया गया था कि कैसे वो अवैध तरीक़े से अमेरिका पहुँचते हैं…और इसी के चलते एक शब्द सुर्ख़ियों में आया था डंकी रूट … बात पुरानी है पर ये Dunki Route अब एक बार फिर से चर्चा में आ गया है…और वजह है 104 अवैध प्रवासी भारतीयों का अमेरिका से डिपोर्ट होकर भारत भेजा जाना। ये लोग अमेरिका में डंकी रूट के ज़रिये घुसने की कोशिश कर रहे थे।

शाहरुख़ खान की फिल्म में हम सभी ने इस रूट के बारे में तो सुना पर असल में ये रूट है क्या और इसका नेटवर्क कितना बड़ा है…ये कितना खतरनाक है और किन-किन देशों से होकर ये रास्ता जाता है ये सब explain नहीं किया गया है।

दरअसल, ये रास्ता बेहद खतरनाक होने के साथ-साथ बहुत असुरक्षित भी है। इस दौरान उन्हें कई तरह के शोषण का भी सामना करना पड़ता है। डंकी ट्रैवलर्स को इन रास्तों पर खराब मौसम, भूख, बीमारी और शोषण जैसी अनेकों तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो लोग बीच रास्ते में ही मारे भी जाते हैं। ये रास्ता कई देशों से होकर गुज़रता है. पर अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये रास्ता लोग पैसे बचाने के लिये अपनाते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। दरअसल, वैध वीज़ा न होने की वजह से लोग इस रास्ते को अपनाते हैं। और इस राह पर चलने के लिये लोगों को लाखों रुपये भी खर्च करने पड़ जाते हैं लेकिन पहुँचने की कोई गारंटी नहीं होती है।

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क्या है डंकी रूट और इसका मतलब?

एक ऐसा अवैध रास्ता है, जिसके ज़रिये लोग बिना किसी वैध वीज़ा, क़ानूनी परमिट या दस्तावेज़ के विदेशों में दाखिल होते हैं, डंकी रूट कहलाता है। आसान शब्दों में कहें तो डंकी रूट का मतलब है अवैध तरीक़े से विदेश जाने वाला रास्ता. डंकी रूट एक लंबा और जोख़िम भरा रास्ता होता है।  दुनियाभर में किसी जगह पहुँचने के लिये सीधे रस्ते की बजाय लोग अक्सर ऐसे खतरनाक व लम्बे और घुमावदार रास्तों को अपनाते हैं। डंकी शब्द पंजाबी भाषा के डुन्की से आया है। पंजाबी इसका मतलब किसी एक जगह से दूसरी जगह पर कूदना या उछलना होता है. यही वजह है कि विदेश जाने वाले ऐसे रूट को ‘डंकी रूट’ कहते हैं।  

इस रास्ते से लोग ख़ासतौर पर अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में अवैध रूप से एंट्री करते हैं। पहले यह रूट ख़ासकर क्रिमिनल्स अपनाते थे, पर अब अपने विदेश जाने के ख़्वाब को पूरा करने के लिए आम लोग भी इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। इस रास्ते के लिए किसी तरह के पासपोर्ट की ज़रूरत नहीं होती है।

डंकी रूट्स की पहली पसंद वीज़ा ऑन अराइवल देश

ट्रैवल एजेंट्स द्वारा इन रास्तों के ज़रिये डंकी ट्रैवलर्स को उन देशों में भेजा जाता है जहाँ भारतीय नागरिकों के लिये वीज़ा ऑन अराइवल (VoA) यानी पहुँचने पर वीज़ा दिए जाने की सुविधा मौजूद है। भारत में सबसे लोकप्रिय डंकी रूट में पहला क़दम लैटिन अमेरिकी देशों तक पहुँचना है, फिर वहाँ से अमेरिका। लैटिन अमेरिकी देशों में एंटर करना मुश्किल नहीं है, लेकिन इसमें महीनों का वक़्त भी लग सकता है। इक्वाडोर, बोलीविया और गुयाना जैसे कई लैटिन अमेरिकी देशों में भारतीयों को VoA की सुविधा है। इसके अलावा, ब्राज़ील और वेनेज़ुएला जैसे कुछ देश भी भारतीयों को आसानी से टूरिस्ट वीज़ा दे देते हैं। बता दें कि जो देश अमेरिका की सीमा से जितना क़रीब होता है, भारत से उस देश का वीज़ा मिलना उतना ही मुश्किल होता है।

अमेरिका जाने के डंकी रूट्स

अमेरिका जाने के लिए कई डंकी रूट हैं। अमेरिका जाने के लिये पॉपुलर डंकी रूट्स में पहला मेक्सिको बॉर्डर के ज़रिये है, दूसरा पनामा के जंगलों से है और तीसरा रूट कनाडा के रास्ते के ज़रिये है।

किसी ट्रैवलर का डंकी रूट क्या होगा और वह किस देश से दाखिल होगा ये सब इस बात पर निर्भर करता है कि वह जिस एजेंट के ज़रिये यात्रा कर रहा है, उसके किन देशों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग नेटवर्क के साथ से लिंक्स हैं। लोगों के मुताबिक़, अमेरिका जाने के लिए ट्रैवल एजेंट्स लोगों को कई तरह के पैकेज ऑफर करते हैं। इसके लिये एजेंट क्लाइंट्स से एक बड़ी रक़म भी वसूल करते हैं और फ़र्ज़ी यूनिवर्सिटी एडमिशन के नाम पर वीज़ा और वर्क परमिट लेते हैं। अमेरिकी सीमा के पास लोगों को रुकवाते हैं और फिर अवैध तरीके से उन्हें अमेरिका में दाख़िला दिलाते हैं। 

इसमें अक्सर एजेंट लोगों को दुबई से मेक्सिको के लिए सीधे वीज़ा का बंदोबस्त कर भेजते हैं, पर पुलिस व प्रशासन की मुस्तैदी और गिरफ्तारी की आशंका की वजह से सीधे मेक्सिको में उतरना ज़्यादा खतरनाक और मुश्किल माना जाता है। इसलिए अधिकतर एजेंट अपने क्लाइंट्स को लैटिन अमेरिकी देशों में ही ले जाते हैं। इसके बाद कोलंबिया और फिर मेक्सिको होते हुए उन्हें अमेरिका में एंट्री दिलाई जाती है।

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पनामा के घने जंगल का रास्ता

अमेरिका में एंट्री करने के लिए पनामा और मैक्सिको के खतरनाक इलाकों को पार करना पड़ता है। दरअसल, कोलंबिया के आगे एक संकरा इलाका पार कर पनामा आता है। यात्री पहले कोलंबिया से पनामा में घुसते हैं। इन दोनों देशों के बीच एक खतरनाक जंगल पड़ता है जिसे डेरियन गैप कहते हैं। इस जंगल का मतलब है जानलेवा खतरों का सामना करना. यूँ तो यह जंगल अपने आप में एक मौत के कुएँ से कम नहीं है पर अगर सबकुछ ठीक रहा, तो भी इस इलाके को पार करने में क़रीबन दस दिन का समय लग जाता है। यहाँ साफ पानी नहीं मिलेगा, ऊपर से जंगली जानवरों का खतरा अलग. इसके अलावा, जो बात इसे सबसे खतरनाक बनाती है वह है यहाँ एक्टिव आपराधिक गिरोह। इन गिरोहों से लोगों को डकैती, लूट, और यहाँ तक कि रेप का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में अगर यहाँ किसी के साथ कुछ भी बुरा होता है, तो न वह कोई कानूनी मदद ले सकता है, न कोई आपराधिक मामला दर्ज करा सकता है और न ही इसके लिये किसी को सज़ा हो सकती है।

इसके अलावा, इस दौरान अगर किसी ट्रैवलर की मौत हो जाती है या वह मारा जाता है तो घर तक उसकी लाश पहुँचना तो दूर की बात है, उसका अंतिम संस्कार होना भी मुश्किल है। यहाँ से निकलने के बाद पहले कोस्टारिका, फिर निकरागुआ और फिर ग्वाटेमाला पड़ता है। और फिर उत्तरी अमेरिका के मेक्सिको का बॉर्डर आता है।

पनामा पार करने के बाद मेक्सिको के पहले पड़ता है ग्वाटेमाला, जोकि डंकी रूट का सबसे बड़ा को-ऑर्डिनेशन सेंटर है। यहीं से शुरू होता है अमेरिकी एजेंसियों के साथ लुकाछिपी का खेल। यहाँ से मेक्सिको में एंट्री लेने के लिए नए एजेंट मिलते हैं। पुराना एजेंट क्लाइंट्स को उन्हें सौंप देता है।  

 

पनामा के जंगलों का विकल्प

पनामा के जंगलों और इसके खतरों से बचने के लिए एक और रूट भी है कोलंबिया से। दरअसल, कोलंबिया के पास एक द्वीप है, जिसका नाम है सैन एंड्रियास। इस द्वीप से नाव लेकर निकरागुआ तक जाना पड़ता है. और फिर वहाँ से मछुआरों की मदद से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर एक और जगह से नाव करनी पड़ती है। इन नावों के ज़रिये प्रवासी मेक्सिको के तट तक पहुँचते हैं। ये रास्ता सुनने में भले ही आसान मालूम होता हो पर ये भी कम खतरनाक नहीं है।

मेक्सिको का लंबा और कंटीला बॉर्डर

मेक्सिको का बॉर्डर अपने आप में खतरनाक है, जिसे पार करना बेहद जोख़िम भरा है। संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको के बीच लगभग 3,145 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है, जिस पर कंटीले तारों की फेंसिंग लगी है। डंकी ट्रैवलर्स को इस कंटीली बाड़ को छलांग लगाकर पार करना पड़ता है।

इस बॉर्डर को पार करने का एक और रास्ता भी है- रियो ग्रांडे नदी। और कई लोग बॉर्डर की बाद की बजाय इस खतरनाक नदी का विकल्प चुनते हैं. यह भी बॉर्डर पर ही है। अमेरिकी अधिकारी इस बॉर्डर पर ज़्यादा सक्रीय होने की बजाय सीमा पार करने के बाद ज़्यादा मुस्तैद नज़र आते हैं। बॉर्डर पार करने के बाद प्रवासियों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और उन्हें कैंपों में डाल दिया जाता है। हिरासत में लिए गए लोगों का भविष्य अब इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिकी अधिकारी उन लोगों को असाइलम के लिए उपयुक्त पाते हैं या नहीं।   

अमेरिका जाने के अन्य डंकी रूट्स

इसके अलावा एक और डंकी रूट है जो भारत से ई-वीज़ा के द्वारा वाया तुर्किए है। इसमें पहले तुर्किए में क़रीब 90 दिनों तक लोग रुकते हैं और उसके बाद मेक्सिको जाते हैं। इसके बाद पैदल चलकर उन्हें अमेरिका पहुँचना होता हैं। इसमें लगभग 80 से 90 लाख रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा, तीसरा डंकी रूट भारत से अफ्रीका और फिर लैटिन अमेरिका होते हुए मेक्सिको का है। इस दौरान जंगल पार करते हुए लोग अमेरिका पहुंचते हैं। इसमें भी भारत से जाने वाले लोगों को 70 से 75 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं।

अमेरिका का नया डंकी रूट

इन दिनों अमेरिका के लिए एक और डंकी रूट चलन में आ गया है। इसमें लोग पहले यूरोप जाते हैं, फिर वहाँ से मेक्सिको।

डंकी रूट है महंगा और जानलेवा सफ़र

अनेकों तरह के जोखिमों के बावजूद भी डंकी रूट्स के ज़रिये अमेरिका जैसे देशों में जाने की ख्वाहिश रखने वाले लोग मोटा पैसा खर्च करते हैं। एक आदमी के लिए इस सफ़र का ख़र्च आमतौर पर लगभग 15 लाख से 40 लाख तक हो सकता है। कभी-कभी ये रक़म 70-80 लाख या इससे भी ऊपर पहुँच जाती है। खर्च कितना होगा यह जाने वाले रास्ते पर निर्भर करता है। एजेंट्स के मुताबिक़, जितना ज्यादा पैसा, उतना आसान सफ़र।

भारत के एजेंट्स का अमेरिका तक के एजेंट्स और तस्करों से लिंक रहता है। अगर किसी वजह से भारत के एजेंट से अगले एजेंट तक उसका हिस्सा नहीं पहुँचता है, तो ऐसे में उस डंकी ट्रैवलर की जान पर बन सकती है। इसके अलावा, अक्सर परिवारों द्वारा भी एजेंट्स को पैसा क़िस्तों में दिया जाता है। तो ऐसे में अगर क़िस्त में देर हो जाये या उन तक पूरा पैसा नहीं पहुँचा तो आगे के तस्कर उस प्रवासी को मारने में भी नहीं हिचकते।  

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