“प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” (PMMSY) की घोषणा

देश में मत्स्य प्रबंधन और मात्स्यिकी ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बजट (Union Budget) 2019-20 में “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana – PMMSY) की घोषणा की। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में व्यापक रूप से निवेश करने के साथ ही कृषि क्षेत्र के विकास के लिए निजी उद्यमिता का समर्थन करेगी।
मत्स्य विभाग के अनुसार अप्रैल 2019 तक वैश्विक मछली उत्पादन में 6.3 फ़ीसदी भागीदारी के साथ भारत दूसरे स्थान पर है।
वर्ष 2019-20 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार मत्स्य पालन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ लाएगी।
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PMMSY योजना के मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत वैल्यू चेन को सुदृढ़ करने संबंधी महत्त्वपूर्ण ख़ामियों का समाधान किया जाएगा।
- इनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिकीकरण, पता लगाने की योग्यता, उत्पादन, उत्पादकता, पैदावार प्रबंध और गुणवत्ता नियंत्रण शामिल हैं।
- योजना के अंतर्गत मत्स्य प्रसंस्करण और मत्स्य प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- मछली पकड़ने की आधारिक संरचना को मज़बूत किया जाएगा।
- योजना के तहत देश में मीठे और समुद्री जल दोनों में मछली उत्पादन की संभावनाओं के दोहन की रणनीति पर काम किया जाएगा।
- सरकार की मंशा इस योजना के ज़रिये मछुआरों अथवा मत्स्य पालकों को कृषक कल्याण कार्यक्रमों और एक्सीडेंट इंश्योरेंस हेतु एक्सपेंडेड कवरेज सहित सामाजिक सुरक्षा स्कीमों का लाभ देना है।
- इस योजना के लिए ढांचागत विकास निधि का गठन भी किया गया है। जिसके अंतर्गत 7522 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
- योजना का प्रमुख लक्ष्य वर्ष 2022-23 तक 20 मिलियन टन मछली उत्पादन को बढ़ाना है जो अभी लगभग 10.08 मिलियन टन (2016 के मुताबिक़) है। योजना के माध्यम से मछुआरों आदि के लिए ऋण की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा। सरकार का उद्देश्य एक्वाकल्चर को प्रमोट कर इस क्षेत्र में ऋण की सुविधाओं को और आसान बनाना है।
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ग़ौरतलब है कि भारत के कुल निर्यात का लगभग 10 फ़ीसदी हिस्सा मछली उत्पादों के निर्यात से संबंधित है। भारत में लगभग सभी प्रकार की मछलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं और यहाँ लगभग 1.5 करोड़ मछुआरे हैं। यह विशाल संसाधनों और क्षमताओं वाला क्षेत्र है। एक आकलन के अनुसार विश्व में मछलियों की जीतनी भी जैव-विविधता है उसकी क़रीब 10 फ़ीसदी भारत में पाई जाती है।
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