केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा ‘भाषा संगम’ परियोजना की शुरुआत
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नवंबर 2018 से ‘भाषा संगम’ नामक एक पहल की शुरुआत की गई है जिसके तहत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबंधित अथवा मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं प्रत्येक राज्य की भाषा सीख सकेंगे।
‘भाषा संगम’ पहल के तहत, संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाओं के बारे में छात्रों को बुनियादी जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया जायेगा। इसके अनुसार छात्रों को अगले एक महीने में इन भाषाओं को सिखाने के लिए प्रोजेक्ट चलाया जाएगा जिसमें छात्र हर भाषा के पांच वाक्य सीखेंगे और इसके बाद उन्हें प्रार्थना के समय इन वाक्यों को बोलना होगा। छात्रों को घर पर अभिभावकों के साथ इन वाक्यों पर विचार-विमर्श करना होगा। इसमें एक से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को शामिल किया जाएगा। स्कूलों में प्रतिदिन दी जाने वाली जानकारी का वीडियो बनेगा तथा यह वीडियो सीबीएसई की वेबसाइट पर भी अपलोड करना होगा। 21 दिसंबर को पूरे प्रोजेक्ट का प्रसारण किया जाएगा।
सीबीएसई ने कुछ समय पूर्व ही भाषा संगम के लिए अधिसूचना जारी की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को हिंदी, अंग्रेज़ी के अतिरिक्त देश की विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं को बोलना सिखाना है।
प्रॉजेक्ट के तहत संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाएँ हिन्दी, असमिया, बंगाली, बोडो, तमिल, तेलुगु, उर्दू, गुजराती, कन्नड, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयाली, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, डोगरी छात्रों को बोलनी सिखाई जाएँगी।
विदित हो कि भारतीय भाषाओं से सम्बंधित भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। इनमें से 14 भाषाओं को संविधान में शामिल किया गया था। इसके बाद वर्ष 1967 में, सिन्धी भाषा अनुसूची में जोड़ी गई। वर्ष 1992 में कोंकणी, मणिपुरी तथा नेपाली भाषा को जबकि वर्ष 2004 में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषा को इस अनुसूची में शामिल किया गया।